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पुनर्विचार याचिकाएं भी खारिज, अयोध्या केस में मुस्लिम पक्षकारों के पास अब ये है आखिरी विकल्प

अयोध्या में राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कुल 18 पुनर्विचार याचिकाएं डाली गई थीं. बंद चैंबर में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 18 अर्जियों पर सुनवाई की और सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

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  • अयोध्या केस में सारी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज
  • अब बचा है सिर्फ क्यूरेटिव पिटीशन का विकल्प

अयोध्या में राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कुल 18 पुनर्विचार याचिकाएं डाली गई थीं. बंद चैंबर में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 18 अर्जियों पर सुनवाई की और सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं. बता दें कि इस मामले में 9 याचिकाएं पक्षकार की ओर से, जबकि 9 अन्य याचिकाकर्ता की ओर से लगाई गई थी.

पुनर्विचार याचिकाएं खारिज हो जाने के बाद बात हो रही है कि इस मामले में अब आगे क्या संभावनाए हैं. तो आपको बता दें कि इस मामले में अभी भी एक और अंतिम न्यायिक विकल्प खुला हुआ है. फैसले से नाखुश पक्ष अभी भी कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

मिलेगा उपचार याचिका का विकल्प

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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुनाए जाने के बाद भी पक्षकारों के पास एक और विकल्प होगा. कोर्ट के फैसले के खिलाफ यह अंतिम विकल्प है जिसे क्यूरेटिव पिटीशन (उपचार याचिका) कहा जाता है.

थोड़ा अलग है यह विकल्प

हालांकि क्यूरेटिव पिटीशन पुनर्विचार याचिका से थोड़ा अलग है. इसमें फैसले की जगह मामले में उन मुद्दों या विषयों को चिन्हित करना होता है जिसमें उन्हें लगता है कि इन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है. इस क्यूरेटिव पिटीशन पर भी बेंच सुनवाई कर सकता है या फिर उसे खारिज कर सकता है. इस स्तर पर फैसला होने के बाद केस खत्म हो जाता है और जो भी निर्णय आता है वही सर्वमान्य हो जाता है.

9 याचिकाएं पक्षकार की ओर से

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की विशेष पीठ के सामने 9 नवंबर को दिए अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए कुल 18 याचिकाएं दाखिल की गईं. इनमें 9 याचिकाएं पक्षकारों की ओर से और शेष 9 अन्य याचिकाकर्ता की ओर से थी.

ये है संवैधानिक बेंच

चीफ जस्टिस एसए बोबडे के साथ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना ने पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला लिया. आपको बता दें कि इस पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना नए सदस्य थे. पिछली बेंच की अगुवाई करने वाले तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई अब रिटायर हो चुके हैं. संजीव खन्ना ने उनकी जगह ली है. गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने अयोध्या जमीन विवाद मामले में नौ नवंबर को अपना फैसला सुनाया था. अदालत ने विवादित जमीन रामलला को यानी राम मंदिर बनाने के लिए देने का फैसला किया था.

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यह था अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया था. अयोध्या में यह विवाद सदियों से चला आ रहा था. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन का मालिकाना हक राम लला को दिया था. जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा गया था. यानी सुन्नी वफ्फ बोर्ड को कोर्ट ने अयोध्या में ही अलग जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि केंद्र या राज्य सरकार अयोध्या में उचित स्थान पर मस्जिद बनाने को जमीन दे. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही सरकार को एक नया ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया था जिसे वह जमीन मंदिर निर्माण के लिए दी जाएगी.

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