अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सुन्नी वक्फ बोर्ड चुनौती नहीं देगा. सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से जफर फारुकी ने कहा कि बोर्ड अयोध्या विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा.
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बोर्ड की ओर से फैसले का स्वागत किया गया है और उन्होंने कहा कि हम पहले से कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा उसे दिल से माना जाएगा. फारुकी ने कहा कि सभी को भाईचारे के साथ इस फैसले का सम्मान करना चाहिए. बता दें कि इस केस में सुन्नी वक्फ बोर्ड एक अहम पक्षकार है.
Zafar Farooqui, Chairman of Uttar Pradesh Sunni Central Waqf Board: We welcome and humbly accept the verdict of the Supreme Court. I want to make it clear that UP Sunni Waqf Board will not go for any review of the SC order or file any curative petition. pic.twitter.com/k5iUcuX08n
— ANI UP (@ANINewsUP) November 9, 2019
सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से जफर फारुकी ने कहा कि बोर्ड अयोध्या विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा. बोर्ड की ओर से फैसले का स्वागत किया गया है और उन्होंने कहा कि हम पहले से कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा उसे दिल से माना जाएगा.
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फारुकी ने कहा कि सभी को भाईचारे के साथ इस फैसले का सम्मान करना चाहिए. बता दें कि इस केस में सुन्नी वक्फ बोर्ड एक अहम पक्षकार है. फारुकी से जब पूछा गया कि ओवैसी ने इस फैसले को चुनौती देने और मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन न लेने की बात कही है तो उन्होंने कहा कि ओवैसी कौन हैं, मैं उनको नहीं जानता और न ही कभी उनसे मिला हूं.
विवाद का पटाक्षेप
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया. शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि नई मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड मुहैया कराया जाए. शीर्ष कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित जमीन को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक करार दिया. आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही राजनीतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील 134 साल से भी अधिक पुराने इस विवाद का पटाक्षेप कर दिया. इस विवाद ने देश के सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव के ताने बाने को तार तार कर दिया था.