अयोध्या जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई टल गई है. इसके पीछे 5 जजों की बेंच में जस्टिस एसए बोबडे की गैर-मौजूदगी वजह बताई जा रही है. इस मामले की सुनवाई 29 जनवरी से शुरू होने वाली थी. हालांकि, सुनवाई की अभी नई तारीख के बारे में कोई सूचना नहीं है. जस्टिस एसए बोबेड को कुछ दिन पहले ही इस बेंच में शामिल किया गया था. 5 जजों की इस बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोवडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अब्दुल नजीर हैं.
बता दें, सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या 2.77 एकड़ भूमि विवाद से संबंधित मामले में 14 अपीलें दायर की गई है. यह सभी अपील 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2:1 के बहुमत के फैसले के खिलाफ है. इस फैसले में हाईकोर्ट ने विवादित भूमि को भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर- बराबर बांटने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मई, 2011 को स्टे का ऑर्डर दिया था. इसके बाद पिछले दिनों मामले की सुनवाई के लिए पांच जजों की बेंच का गठन किया गया था. इस बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा अलावा जज जस्टिस एसए बोवडे, जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थे.Ayodhya case won't be taken up for hearing by the 5-judge constitution bench of Supreme Court on January 29 due to the non-availability of Justice SA Bobde pic.twitter.com/wzuJsBjwSJ
— ANI (@ANI) January 27, 2019
बेंच में शामिल जस्टिस यूयू ललित को लेकर कई सवाल खड़े हो गए थे. दरअसल, जस्टिस यूयू ललित अयोध्या विवाद से ही संबंधित एक मामले में अधिवक्ता की हैसियत से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की ओर से पेश हो चुके हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन की ओर से उठाए गए इस सवाल के बाद खुद जस्टिस यूयू ललित ने अपने आपको बेंच से अलग कर लिया था. इसके बाद उनकी जगह पर जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एनवी रमन्ना की जगह पर जस्टिस अब्दुल नजीर को बेंच में शामिल किया गया था.
इसी साल 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए बेंच बनाने का निर्णय लिया था. 10 जनवरी तक पांच जजों की बेंच का गठन कर लिया गया था, लेकिन जस्टिस यूयू ललित के बेंच से अलग होने के बाद इस मामले की सुनवाई टाल दी गई थी. बीते दिनों चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने नई बेंच का गठन किया था और मामले की सुनवाई के लिए 29 जनवरी का दिन मुकर्रर किया था. इससे पहले इस मामले में अधिवक्ता हरी नाथ राम ने एक याचिका दायर करते हुए कहा था कि इस मामले की अनिश्चितकाल के लिए टाला नहीं जा सकता और सुप्रीम कोर्ट को इस पर जल्द सुनवाई करे.