इलाहाबाद उच्च न्यायालय की विशेष पीठ ने अयोध्या के रामजन्म भूमि विवादित स्थल पर मालिकाना हक के लिए 24 सितम्बर को दिये जाने वाले फैसले को रोक कर आपसी बातचीत के जरिये मामले को हल करने संबंधी प्रार्थनापत्र को हर्जाने के साथ खारिज कर दिया. पीठ ने इस बाबत फैसला निर्धारित तिथि पर ही देने का निर्णय किया.
न्यायमूर्ति एस. यू. खान न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा की विशेष पीठ ने रमेशचन्द्र त्रिपाठी द्वारा इस बाबत दिये गये प्रार्थनापत्र पर सुनवाई के बाद इसे खारिज कर दिया और जुर्माना लगाने की बात कही. अदालत जुर्माने की राशि बाद में तय करेगी.
तीन सदस्यीय विशेष पीठ के एक न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने पांच लाख रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव रखा है. हालांकि, अभी जुर्माने की राशि क्या होगी इसका अंतिम निर्णय नही लिया गया है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने रमेशचन्द्र त्रिपाठी के प्रार्थनापत्र को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अदालत को दिये गये प्रार्थनापत्र में फैसले को टालने और आपसी बातचीत के जरिये हल खोजने का कोई समुचित आधार नहीं है.{mospagebreak}
गत 13 सितम्बर को दावा संख्या 4 के प्रतिवादी क्रमांक 17 रमेशचन्द्र त्रिपाठी ने उच्च न्यायालय के विशेष कार्याधिकारी एच. एस. दुबे के समक्ष अर्जी देकर विवाद को सुलह-समझौते से हल करने का प्रयास करने व फिलहाल प्रस्तावित निर्णय को टालने का अनुरोध किया था.
बहरहाल, अखिल भारत हिन्दू महासभा की ओर से अधिवक्ता एच. एस. जैन और मामले में चौथे वादी सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने कल अदालत के विशेष कार्याधिकारी को प्रार्थनापत्र देकर रमेशचन्द्र त्रिपाठी के आग्रह पर आपत्ति जताई थी.
जिलानी की तरफ से दाखिल की गयी आपत्ति में त्रिपाठी के प्रार्थनापत्र को न सिर्फ खारिज किये जाने की मांग की गयी थी बल्कि उन पर हर्जाना लगाये जाने का भी आग्रह किया गया था.