अयोध्या जमीन विवाद मामले में 18वें दिन सुनवाई चल रही है. इस दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि सिविल सूट में तथ्यों और साक्ष्यों पर स्वामित्व और अधिकार को साबित करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि विवादित संपत्ति पर हिंदुओं का विशेष स्वामित्व दिखाने के लिए एक भी सबूत नहीं है. इसपर जस्टिस बोबडे ने पूछा कि आप किसकी पात्रता के बारे में बात कर रहे हैं. इसपर राजीव धवन ने कहा कि जमीन के हिस्से की पात्रता की बात कर रहे हैं. यदि अदालत देवता के स्वायंभु स्वरूप पर उनके तर्क को स्वीकार करती है, तो पूरी संपत्ति उनके पास जानी चाहिए. मुस्लिमों को कुछ नहीं मिलेगा. लेकिन वे इसपर अपना अधिकारी जता रहे हैं.
राजीव धवन ने कहा कि स्तंभों की उपस्थिति दर्शाई गई है, लेकिन स्तंभ किसी विशेष धर्म का संकेत नहीं देते हैं. राजीव धवन ने कहा कि हिंदुओ का दावा है कि बीच वाले गुम्बद के नीचे ही रामजी का जन्म हुआ था. मुस्लिम पक्ष का कहना है कि आप कैसे कह सकते हैं कि राम वहीं पैदा हुए थे. इतना बड़ा स्ट्रक्चर है आप का दावा ठोस तथ्यों पर आधारित नहीं है. अगर थोड़ी देर को मान भी लें कि जन्म वहां हुआ तो परिक्रमा के दावे करने का क्या मतलब है? 23 अगस्त 1989 को सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मुकदमे में पार्टी बना. जन्मस्थान को रामजन्म भूमि कहते हुए हिंदुओ ने दावा किया कि वो हमेशा से उनके कब्जे में रहा. अब जन्मस्थान और जन्मभूमि के अर्थ में काफी अंतर और कन्फ्यूजन भी है.
राजीव धवन ने कहा कि हिंदू पक्ष की दलीलों में एक नई बात जोड़ी गई कि जिन लोगों ने 1992 में मस्जिद गिराई थी, वे शरारती तत्व थे और उनका हिंदुओं से कोई लेना-देना नहीं था. अगर वे हिंदू नहीं थे तो फिर वे कौन थे.
इससे पहले राजीव धवन ने कहा कि बाबरी मस्जिद में भगवान रामलला की मूर्ति स्थापित करना छल से किया हुआ हमला है. राजीव धवन ने कहा कि हिन्दू महासभा ने कहा है कि वो इस मसले को लेकर सरकार के पास जाएगी.
धवन ने पुरानी तस्वीरें कोर्ट में पेश कर दावा किया कि विवादित इमारत में मध्य वाले मेहराब के ऊपर अरबी लिपि में बाबर और अल्लाह उत्कीर्ण था. इसके अलावा कलमा भी लिखा था. उत्तरी मेहराब में भी कैलीग्राफी यानी कलात्मक लिखाई में तीन बार अल्लाह लिखा था. पास में ही फिर राम राम भी लिख दिया गया.
उन्होंने कहा कि जगमोहन दास लाल साहू की खींची गई तस्वीरें हैं. कोई ये भी नहीं कह सकता कि मुस्लिम फोटोग्राफर ने ली है. दशकों तक वहां ताला पड़ा रहा. हर शुक्रवार को ताला खुलता रहा और हम नमाज़ पढ़ते रहे. फिर भी ये कह रहे हैं कि वो मस्जिद नहीं थी. जस्टिस भूषण और जस्टिस बोबडे ने पूछा कि क्या किसी खंभे की तस्वीर भी आप पेश करेंगे? धवन ने इस पर कोई साफ साफ जवाब नहीं दिया.
राजीन धवन ने कहा कि इसका सीधा मतलब तो यही है कि कोर्ट का ये अधिकार क्षेत्र नहीं है. इस तरह के शो पर रोक लगनी चाहिये 'और कोई रथयात्रा नहीं.'मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष की दलील है कि मुस्लिम पक्ष के पास विवादित जमीन के कब्जे के अधिकार नहीं है, न हो लेकिन मुस्लिम पक्ष वहां नमाज अदा करता रहा है. उसके पीछे वजह ये है कि 1934 में निर्मोही अखाड़ा ने गलत तरीके से अवैध कब्जा किया. इसके बाद हमें नमाज नहीं अदा करने दिया गया.
राजीव धवन ने कहा कि हम कह सकते हैं कि दोनों ही पक्ष वहां उपासना करते रहें, लेकिन ये कैसे कह सकते हैं कि वहां मस्जिद नहीं थी. धवन ने एक तस्वीरनुमा नक्शा दिखाकर कहा कि 1480 गज का भूरे रंग का हिस्सा देवता और निर्मोही अखाड़े को दिया है. 740 वर्गगज का हिस्सा मुस्लिम पक्षकारों को दिया गया. उन्होंने आगे कहा कि 1947 में दिल्ली में तोड़ी गई 30 मस्जिदों को तब के पीएम पंडित नेहरू ने फिर से बनाने का आदेश दिया था.
उधर फैज़ाबाद के एक DM के के नायर थे, जो कह रहे थे कि फैज़ाबाद में मंदिर था, जिसे तोड़ा गया. बाद में नायर की फोटो इमारत में लगाई गई. साफ है कि वो हिंदुओं के पक्ष में भेदभाव कर रहे थे.