अयोध्या जमीन विवाद मामले में मंगलवार को सुनवाई का 18वां दिन था. सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलों का फोकस रामलला की मूर्ति को जबरन मस्जिद की इमारत में रखे जाने पर ही किया. मुस्लिम पक्षकारों के वकील डॉक्टर राजीव धवन ने कहा कि मूर्ति का स्थान बदलना चमत्कार नहीं बल्कि साजिश था, जिसमें स्थानीय प्रशासन भी मिला हुआ था.
उन्होंने कहा कि मूर्ति 22-23 दिसंबर 1949 की रात अखाड़े के बैरागी साधुओं ने राम चबूतरे से उठाकर मस्जिद की गुंबद वाली इमारत के बीच वाले गुंबद के नीचे रख दी थी. इस घटना की एफआईआर भी दर्ज है. अपनी दलीलों से पहले धवन हिन्दू पक्षकारों की दलीलों के जवाब ही दे रहे थे.
उन्होंने कहा कि हिन्दू महासभा ने बहस के दौरान कहा था कि वो सरकार के पास ये मसला लेकर जाएगी. इस चुनौती और घोषणा का सीधा मतलब यही है कि वो कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को ललकार रहे हैं. वो कह रहे हैं कि ये कोर्ट का अधिकार क्षेत्र नहीं है. ऐसे शो पर रोक लगनी चाहिए यानी अब No more yatra'.
वकील राजीव धवन ने कहा कि हिंदू पक्ष की दलील है कि मुसलमानों का विवादित जमीन पर कब्जा नहीं रहा है. न ही मुसलमान वहां नमाज अदा करते हैं. इसकी वजह ये है कि 1934 में निर्मोही अखाड़ा ने वहां जबरन कब्जा कर लिया था. तब प्रशासन हर एक शुक्रवार को पुलिस पहरे में मुसलमानों को जुमे की नमाज अदा कराता था. लेकिन नमाज के वक्त बैरागी साधु हर बार शोर-शराबा और हंगामा करते थे. इससे कई बार हमें यहां नमाज अदा नहीं करने दी गई.
बहस के दौरान धवन ने ये भी कहा कि इमारत में कैलीग्राफी में अल्लाह बाबर और कलमा भी लिखे गए थे. धवन सप्ताह में चार दिन बहस करेंगे और शुक्रवार यानी जुमे को उनकी छुट्टी रहेगी. उस दिन मुस्लिम पक्षकारों में से कोई और बहस करेगा.
बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस एसए. बोबड़े, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की हफ्ते के पांचों दिन सुनवाई कर रही है. यह पूरा विवाद राम जन्मभूमि की 2.77 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर है.