सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायर होने में कुछ ही महीने शेष रह गए हैं और अब सबकी नजर इसी पर है कि क्या उनके रहते देश की सबसे बड़ी अदालत में अयोध्या जमीन विवाद पर फैसला आ पाएगा. अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 6 अगस्त से खुली अदालत में इस मामले की रोजाना सुनवाई होगी.
दूसरी ओर अब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायर होने तक सुप्रीम कोर्ट के पास इस मामले की सुनवाई के लिए 35 दिन का वक्त है. अब सबकी नजर है कि 17 नवंबर, 2019 तक इस संबंध में कोई फैसला आ पाता है या नहीं.
सुनवाई के लिए ये 35 दिन नॉन मिसलेनियस डे (Non Miscellaneous Day) हैं, जो कि हर हफ्ते में मंगलवार, बुधवार और गुरुवार होते हैं. इन दिनों में सुप्रीम कोर्ट रेगुलर केस यानि पुराने नियमित मामलों की सुनवाई करता है. इसके अलावा सोमवार और शुक्रवार के दिन मिसलेनियस डे (Miscellaneous Day) होते हैं. इनमें नए मामलों की सुनवाई होती है.
अब 6 अगस्त से चीफ जस्टिस के रिटायरमेंट के दिन 17 नवंबर 2019 तक शनिवार, रविवार और अन्य अवकाश के दिनों को हटाकर सुनवाई के लिए 35 दिन बचते हैं. इन दिनों में सुनवाई भी होनी है और फैसला भी लिखा जाना है. ऐसे में सवाल है कि क्या रंजन गोगोई के मुख्य न्यायाधीश रहते हुए 17 नवंबर 2019 तक मामले की सुनवाई होकर फैसला आ सकेगा?
अयोध्या जमीन विवाद को बातचीत से सुलझाने के लिए गठित मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैनल किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सका. अब इस मामले की सुनवाई 6 अगस्त से रोजाना की जाएगी. जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी कहा कि अब इस मामले की सुनवाई तब तक चलेगी, जब तक कोई नतीजा नहीं निकल जाता है.
मध्यस्थता पैनल ने गुरुवार को बंद लिफाफे में अपनी अंतिम रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता पैनल बनाया था जिसमें पूर्व जस्टिस एफएम कलिफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल थे.