राम मंदिर मसले को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से 3 मध्यस्थों को नियुक्त किए जाने पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती का कहना है कि हम सुप्रीम कोर्ट को कुछ कहेंगे नहीं. हम उनका सम्मान करते हैं, लेकिन हम राम भक्त हैं और राम सारे ब्रह्मांड के स्वामी हैं. हम तो एक ही बात कहेंगे कि जहां रामलला मौजूद हैं वहां कोई अन्य धर्म स्थल नहीं बन सकता.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से मध्यस्थ नियुक्त किए जाने के बाद अयोध्या मामले पर तेजी आ गई है. देश की शीर्ष अदालत के फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं, हम कोर्ट के फैसले पर कुछ नहीं कहेंगे. हमारा सिर्फ यही कहना है कि जैसे वेटिकन सिटी में मस्जिद नहीं बन सकती. जैसे मक्का मदीना में राम मंदिर नहीं बन सकता. इसी तरह जहां पर राम लला मौजूद हैं, वहां पर रामलला के मंदिर के अलावा कोई अन्य धर्म स्थल नहीं बन सकता.
Union Minister Uma Bharti: I don't want to comment on the Supreme Court order. I don't want to comment on the mediators named by the court. But as a Hindu, I think, a temple should be made where Lord Ram was born. pic.twitter.com/8k9PhZDjwm
— ANI (@ANI) March 8, 2019
उन्होंने आगे कहा कि भारत एक सेकुलर देश है. अयोध्या और फैजाबाद में भी कई मस्जिदें हैं, लेकिन जहां रामलला हैं वहां पर तो सिर्फ राम मंदिर ही बनेगा. जो भी रास्ता निकले, लेकिन इसके अलावा कुछ और नहीं होगा.
उमा भारती ने कहा कि कोर्ट ने तो शुरू से ही कहा है यह विवादित जमीन है. यह भूमि विवाद का मामला है और यहां पर आस्था का विवाद तो है ही नहीं. सीधे-सीधे वहां राम जन्म भूमि है. दोनों पार्टियां अगर बातचीत कर लें तो कोर्ट उसको मान्यता देता है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर बनेगा यह सबको पता है. वहां पर मंदिर के अलावा और कुछ हो ही नहीं सकता. मध्यस्थता करने वालों को भी यह बात समझनी होगी.
इस फायर ब्रांड नेता ने आगे कहा कि वेटिकन सिटी में कोई मस्जिद बनाने के प्रस्ताव रख सकता है क्या. क्या मक्का मदीना में मंदिर बनाया जा सकता है. इसी तरह रामलला में राम मंदिर के अलावा और कुछ नहीं बन सकता. अच्छा होगा कि सब लोग आपस में बातचीत करें और सोमनाथ की तर्ज पर मंदिर बने.
मध्यस्थता करने बालों के बारे में उमा भारती का कहना है कि राम का नाम इतना प्रभावी है कि उसमें सब शामिल है. नामों की तो कोई बात ही नहीं है. इसलिए वह नामों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगी. हमारा पेटेंट नहीं है. ना उमा भारती का पेटेंट है और ना ही विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) का पेटेंट है. सबको एक ही बात ध्यान में रखनी पड़ेगी कि वहां पर राम मंदिर के अलावा कुछ और नहीं हो सकता.
कांग्रेस जिम्मेदारः गिरीराज सिंह
सुप्रीम कोर्ट की ओर से मध्यस्थ नियुक्त किए जाने को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर जो कुछ कहा है, उस पर कुछ नहीं बोलूंगा, लेकिन इससे पहले भी राम मंदिर विवाद पर मध्यस्थता हो चुकी हैं और विवाद का निपटारा नहीं हो सका. मैं मुसलमानों से कहना चाहता हूं कि क्या मक्का मदीना की जगह कुछ और बना दिया जाए या फिर वेटिकन सिटी में कुछ भी बने ईसाइयों मंजूर हैं अगर उन्हें वहां मंजूर नहीं हैं तो राम मंदिर फिर इतना विवाद क्यों?'
उन्होंने कहा कि जिन्होंने विवाद करवाया वो अलग होकर पाकिस्तान चले गए. पाकिस्तान में मंदिरों को तोड़ा और गिराया गया मुझे उस पर कोई आपत्ति नहीं हैं. हिंदुस्तान में तीन लाख मस्जिद बनाई गई हैं उस पर भी हमें कोई आपत्ति नहीं हैं. हम कह रहे हैं कि राम मंदिर हमारे लिए आस्था का विषय हैं. राम हमारे लिए पूज्यनीय हैं. बाबर उनके लिए आस्था या पूज्यनीय नहीं हैं इसलिए उन्हें अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर अब तक राम मंदिर नहीं बना हैं तो उसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार हैं. पहले पंडित नेहरू ने नहीं बनने दिया और अब कपिल सिब्बल नहीं बनने दे रहे हैं.
विवाद सुलझाने के दो तरीकेः केसी त्यागी
दूसरी ओर, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) नेता केसी त्यागी ने राम मंदिर मसले पर मध्यस्थता कमेटी बनाए जाने को लेकर आजतक से बातचीत में कहा कि जेडीयू पहले से ही मान रहा है कि इस विवाद को सुलझाने के लिए दो तरीके हैं एक तो आपसी बातचीत के जरिए या फिर अदालत के जरिए. आज इसके लिए एक मध्यस्थ कमेटी बना दी गई है. पंच परमेश्वर जो फैसला देंगे उसको स्वीकार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि बहुत लोग इसको भी उचित नहीं मानते हैं, यह संविधान के विरुद्ध है.
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी आपसी बातचीत के जरिए इस फैसले को समझाने का प्रयास हुआ था. वीपी सिंह और चंद्रशेखर के दौर में ऐसी कोशिश की गई थी. उस समय इस समस्या को लगभग सुलझा लिया गया था, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने अड़ियल रुख अपना लिया था. अब अदालत के फैसले पर नए तरीके से प्रयास हो रहा है. मुझे आशा है कि इस कमेटी को बनाने के बाद इस समस्या का समाधान अच्छे से निकल आएगा.
त्यागी ने कहा कि श्रीश्री रवी शंकर ने पहले भी मध्यस्थता की कोशिश की थी, लेकिन वह आगे नहीं बढ़ पाए. अब उन लोगों को बेनकाब किया जाना चाहिए कि जो लोग संविधान की बात ना मान करके अपना रुख अड़ियल रखते हैं. उनके बारे में जानकारी जनता के सामने आनी चाहिए.
महज मध्यस्थ समिति को 8 सप्ताह का वक्त दिए जाने के मामले पर केसी त्यागी ने कहा कि ऐसे विवाद जो जनता की आस्था और तर्क भी जुड़े हुए हों, ऐसे मामलों में समय लगता है और राष्ट्रीय एकता के लिए समयसीमा बहुत महत्वपूर्ण नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को अयोध्या भूमि विवाद में बड़ा फैसला सुनाते हुए जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि इस मामले का हल मध्यस्थता के जरिए हो. इसके लिए 3 सदस्यीय मध्यस्थता कमेटी की अध्यक्षता रिटायर्ड जस्टिस इब्राहिम खलीफुल्ला करेंगे. इन कमेटी में श्रीश्री रविशंकर और श्रीराम पंचू शामिल किया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मध्यस्थता की पूरी प्रक्रिया अयोध्या में की जाएगी और इसकी कोई मीडिया रिपोर्टिंग नहीं होगी. मध्यस्थता की प्रक्रिया एक हफ्ते में शुरू हो जाए.