दशकों पुराने अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सर्वोच्च अदालत का फैसला आ गया है. शनिवार यानी 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की पीठ जब सुबह 10.30 बजे कोर्टरूम पहुंची तो पूरा देश टकटकी लगाए देख रहा था. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने फैसला सुनाया कि विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण होगा. मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही अलग से 5 एकड़ जमीन दी जाएगी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने के अंदर राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाए, ताकि आगे की प्रक्रिया तय हो.
इस दिन सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से लेकर राजनीतिक बयानबाजी तक और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के नाम संबोधन में क्या खास रहा, पढ़ें...
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
देश की सबसे बड़ी अदालत ने अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम पक्ष विवादित जमीन पर अपना दावा साबित करने में नाकाम रहा है, हालांकि इसके अलावा मुस्लिम पक्ष (सुन्नी वक्फ) को अयोध्या में ही 5 एकड़ ज़मीन दी जाएगी, जिसका इंतजाम राज्य सरकार करेगी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में कुल 1045 पेज हैं, जिनमें विस्तार से फैसले को बताया गया है.
फैसला पढ़ते हुए क्या बोले जज?
अयोध्या विवाद पर फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि दस्तावेज़ों से पता चलता है कि 1885 से पहले हिन्दू अंदर पूजा नहीं करते थे, बल्कि बाहरी अहाते में रामचबूतरा सीता रसोई में पूजा करते थे. 1934 में दंगे हुए और उसके बाद से मुसलमानों का एक्सक्लूसिव अधिकार आंतरिक अहाते में नहीं रहा. मुसलमान उसके बाद से अपना एकाधिकार सिद्ध नहीं कर पाए. हिन्दू निर्विवाद रूप से बाहर पूजा करते रहे. 6 दिसंबर 1992 को मस्जिद का ढांचा ढहा दिया गया. रेलिंग 1886 में लगाई गई.
किसका दावा हुआ खारिज?
निर्मोही अखाड़ा की ओर से दावा किया गया था कि विवादित भूमि का आंतरिक-बाहरी अहाता जन्मभूमि के रूप में मान्य है. हम सदियों से रामलला के सेवायत हैं, हमें मंदिर निर्माण का अधिकार मिलना चाहिए लेकिन कोर्ट ने ऐसा नहीं किया और राम मंदिर निर्माण के लिए अलग से ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया.
इसके अलावा शिया वक्फ बोर्ड का भी दावा खारिज हुआ है. शिया वक्फ बोर्ड का दावा था कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मीर बाकी ने करवाया था, वो एक शिया था और ऐसे में मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड को न दी जाए. हालांकि, ये दावा भी खारिज ही हो गया.
किन जजों ने सुनाया फैसला?
दशकों पुराने इस विवाद की पिछले दिनों करीब 40 दिनों तक रोजाना सुनवाई हुई. तमाम पक्षों ने अपनी बातों को अदालत के सामने रखा. फैसला देने वाले जजों में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर शामिल रहे.
देश के नाम पीएम मोदी का संदेश
जब अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब में थे. वह करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के लिए पहले जत्थे को रवाना कर रहे थे. लेकिन शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया और सभी से शांति की अपील की. अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि इस विवाद का भले ही कई पीढ़ियों पर असर पड़ा हो लेकिन इस फैसले के बाद हमें ये संकल्प करना होगा कि अब नई पीढ़ी, नए सिरे से न्यू इंडिया के निर्माण में जुटेगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले, ‘पूरे देश की यह इच्छा थी कि इस मामले में अदालत में हर रोज सुनवाई हो और आज फैसला आ चुका है. दशकों तक चली न्याय प्रक्रिया और उस प्रक्रिया का समापन हुआ है. पूरी दुनिया मानती है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. फैसला आने के बाद जिस तरह से हर वर्ग के लोगों ने खुले दिल से इसे स्वीकार किया है, वह भारत की परंपरा को दिखाता है.’
कांग्रेस की ओर से क्या बयान आया?
देश में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी सर्वोच्च अदालत के फैसले का स्वागत किया है. फैसले के बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मुद्दे पर अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट के इस फैसले का सम्मान करते हुए हम सब को आपसी सद्भाव बनाए रखना है. ये वक्त हम सभी भारतीयों के बीच बन्धुत्व, विश्वास और प्रेम का है.
क्या आया मुस्लिम पक्षकारों का बयान?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पक्षकारों ने कहा कि वे कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की भी अपील की. बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं और सरकार मुसलमानों को मस्जिद के लिए जमीन देना अब सरकार की जिम्मेदारी है. वहीं अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जफरयाब जिलानी ने कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ये रही प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने प्रेस वार्ता की और इस फैसले का स्वागत किया. मोहन भागवत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से देश की जनभावना और आस्था को न्याय देने वाले फैसले का संघ स्वागत करता है. इस लंबी प्रक्रिया में राम जन्मभूमि से संबंधित सभी पक्षों को धैर्य से सुना गया है. मोहन भागवत ने ये भी कहा कि इस फैसले को किसी की हार या जीत से नहीं जोड़ना चाहिए.