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अयोध्या केस में सुनवाई का 33वां दिन, ASI की रिपोर्ट पर उठे सवाल

मुस्लिम पक्ष की तरफ से मीनाक्षी अरोड़ा ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर अलग अलग विशेषज्ञों की अलग राय है.

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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर अलग- अलग राय
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर अलग- अलग राय

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  • मुस्लिम पक्ष की ओर से मीनाक्षी अरोड़ा, शेखर नाफड़े ने की बहस
  • जज बोले- कोई ऐसा पुरातत्व विज्ञानी है जो रिपोर्ट नकार सके

अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई जारी है. इसी बीच शुक्रवार को श्रीराम जन्मभूमि मामले में 33वें दिन सुनवाई हुई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से मीनाक्षी अरोड़ा ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट पर अलग-अलग विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है.

उन्होंने कहा कि यह वैज्ञानिक कम और कल्पना पर ज्यादा आधारित है. मीनाक्षी ने कहा कि रिपोर्ट से कहीं साबित नहीं होता कि वहां गुप्त काल का भी निर्माण था . जिस महल की बात की जा रही है, उसका निर्माण मध्यकाल का है. उन्होंने कहा कि ऐसे में उसे 12वीं सदी का मंदिर बताना गलत है. उसे दिव्य कहना भी उचित नहीं. मुस्लिम पक्ष की वकील ने कहा कि ढांचे पर बना गोल गुंबद भी छह पहलुओं वाला था.

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जस्टिस नजीर ने कहा, रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर सवाल नहीं उठा सकते

जस्टिस नजीर ने कहा कि आप यह कह रही हैं कि पुरातत्व भी पूरी तरह से विज्ञान नहीं है, और सेक्शन 45 इस पर लागू नही होता है. उन्होंने कहा कि ASI रिपोर्ट की जांच की गई और आपत्तियों पर विचार किया गया. आप रिपोर्ट की प्रामाणिकता पर सवाल नहीं उठा सकतीं, क्योंकि एक कमिश्नर ने यह रिपोर्ट दी जो जज के समान थे.

इस टिप्पणी पर मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि पुरातत्व विभाग ने कहा है कि हरेक पुरातत्व अधिकारी अपनी सोच के हिसाब से तस्वीर तैयार करता है. उसी के आधार पर वह निष्कर्ष तक पहुंचने की कोशिश करता है. पुरातत्व विज्ञान बिल्कुल हैडराइटिंग विज्ञान की तर्ज पर ही अनुमान पर काम करता है.

उन्होंने कहा कि एक पुरातत्व वैज्ञानिक की राय दूसरे से आमतौर पर नहीं मिलती. मीनाक्षी ने कहा कि फिंगरप्रिंट की जांच बिल्कुल सटीक होती है, क्योंकि मिलान का प्रतिशत कहीं ज्यादा होने पर इसे सही माना जाता है.

जस्टिस बोबड़े ने कहा, कोई ऐसा पुरातत्व विज्ञानी है जो रिपोर्ट नकार सके

जस्टिस बोबड़े ने कहा कि क्या आपके पास कोई ऐसा पुरातत्व वैज्ञानिक है जो ASI की रिपोर्ट नकार सके, जैसे आप नकार रही हैं. इस पर मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि हिन्दू पक्ष की ओर से पेश गवाहों कि राय भी पुरातत्व विभाग से अलग थी. जयंती प्रसाद श्रीवास्तव, रिटायर्ड पुरातत्व अधिकारी ने विभाग की रिपोर्ट से इतर राय रखी.

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पूरे दिन की जिरह के महत्वपूर्ण बिंदू-

  • जस्टिस बोबड़े ने कहा कि दोनों ही पक्षों के पास कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है. सभी पक्ष का मामला पुरातत्व रिपोर्ट के नजरिये पर टिका हुआ है.
  • अरोड़ा ने कहा कि पुरातत्व विभाग कि रिपोर्ट में कहीं नहीं कहा गया कि अमुक स्थान राम मंदिर है. जबकि राम चबूतरे को वाटर टैंक बताया गया है.
  • मीनाक्षी अरोड़ा ने अपनी दलीलें पूरी कीं. अरोड़ा की दलीलों का सारांश ये रहा कि उन्होंने कोर्ट से ASI की रिपोर्ट पर पूरी तरह से भरोसा न करने की बात कही.
  • मीनाक्षी अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट को गलत साबित करने की कोशिश की. मीनाक्षी के बाद मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से वकील शेखर नाफड़े ने बहस शुरू की.
  • शेखर नाफड़े ने कहा कि फारुख अहमद की ओर से 1961 में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत द्वारा दिया गया रेस ज्यूडी काटा यानी न्यायिक समीक्षा का अंतिम आदेश है. रघुबर दास ने मंदिर निर्माण के लिए सूट दाखिल किया था. जिनकी ओर से चबूतरे को जन्म स्थान करार देते हुए मंदिर निर्माण कि मांग की गई. उसका ब्यौरा भी उन्होंने दिया.
  • डिप्टी कमिश्नर ने 1885 में रघुबर दास के सूट पर अपना फैसला दिया था और चबूतरे पर मंदिर बनाने का दावा खारिज कर दिया था. ऐसे में यह रेस ज्यूडी काटा यानी न्यायिक समीक्षा का मामला है. (रेस ज्यूडी काटा (Section 11 of CPC) का मतलब है 'दो पक्षकारों के बीच किसी विवाद का निपटारा हो जाने के बाद उन्हीं पक्षकारों के बीच उसी मामले में उसी विवाद के लिए दोबारा सूट दाखिल नहीं किया जा सकता.)
  • जस्टिस बोबड़े ने कहा कि एक बात तो साफ है कि वहां पर कब्जे को लेकर विवाद था. तो क्या विवाद सिर्फ राम चबूतरे का था या पूरे स्थान का?
  • नाफड़े ने कहा कि हिंदुओं का वहां थोड़ी सी जमीन पर अधिकार था. उनका सिर्फ राम चबूतरे पर अधिकार था , वे स्वामित्व हासिल करने की कोशिश कर रहे थे जिसे अस्वीकार कर दिया गया था. उन्होंने अतिक्रमण करने के लिए लगातार प्रयास किया.
  • नाफड़े ने कहा कि न्यायिक कमिश्नर ने अपने आदेश में साफ किया था कि हिंदुओं की पहुंच सीमित क्षेत्र तक थी. वह उसे बढ़ाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन यह चिन्हित हुआ कि उनका अधिकार सीमित है और उन्हें मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता.
  • शेखर नाफड़े ने कहा कि महंत रघुबर दास की ओर से दाखिल किया गया 1885 का सूट उनका व्यक्तिगत कदम था. नाफड़े ने कहा कि यह साफ है कि 1885 में जो सूट दाखिल किया था वह चबूतरे पर पूजा के अधिकार के लिये दाखिल गया था.
  • जस्टिस चंद्रचूण ने कहा 1885 का जो सूट है, वह निर्मोही अखाड़ा की तरफ से नहीं है. उसे एक महंत ने दाखिल किया था. यह कहना कि हिंदू पक्ष दोबारा केस फाइल नहीं कर सकता, यह ठीक नहीं लगता.
  • मुख्य न्यायाधीश ने मुस्लिम पक्षकारों के वकील शेखर नाफड़े से पूछा कि आप अपनी दलील कब तक पूरी कर लेंगे. इसके जवाब में शेखर नाफड़े ने कहा कि 2 घंटे और. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम अपना शिड्यूल नही बदलेंगे
  • निर्धारित अवधि व्यतीत होने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि आपकी बहस पूरी हो गई है. इस पर शेखर नाफड़े ने कहा कि मुझे 30 मिनट और दिया जाए.
  • CJI ने कहा कि बहस शेड्यूल के हिसाब से नही चल रही है. CJI जस्टिस रंजन गोगोई ने आज फिर कहा कि सुनवाई के शेड्यूल हम नहीं बदलेंगे. सोमवार को शेड्यूल के हिसाब से हिंदू पक्ष को बहस करना है. सुनवाई सोमवार को भी जारी रहेगी.

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