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अदालती फैसले से पहले अयोध्‍या की कशमकश

अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के गुरुवार 30 सितम्बर को आने वाले फैसले पर आम जनता के मन में व्याप्त कशमकश का असर ‘राम लला’ पर भी पड़ा है.

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अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के गुरुवार 30 सितम्बर को आने वाले फैसले पर आम जनता के मन में व्याप्त कशमकश का असर ‘राम लला’ पर भी पड़ा है.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कल आने वाले फैसले के मद्देनजर की गयी सख्त सुरक्षा व्यवस्था के कारण राम नगरी अयोध्या किले की तरह लग रही है और राम लला के मन्दिर पर आम दिनों में श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों की चहल-पहल नदारद सी दिख रही है.

राम लला बिराजमान के ‘अस्थायी मन्दिर’ के प्रधान पुजारी महंत आचार्य सत्येन्द्र दास ने बताया कि ‘पिछले कुछ दिनों से राम लला के दर्शनार्थियों की संख्या में 60 फीसदी से अधिक की गिरावट आ गयी है.’
उन्होंने बताया, ‘सामान्य दिनों में राम लला के दर्शन को प्रतिदिन सात से आठ हजार लोग आते हैं और धार्मिक महत्व के दिनों में यह संख्या 15 हजार तक पहुंच जाती है.’ उन्होंने बताया कि जब से विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के फैसले की तारीख तय हुई है और उसके मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था एवं अन्य मोर्चो पर सरगर्मिया तेज हुई हैं, यह संख्या 40 प्रतिशत के आस-पास रह गयी है.{mospagebreak}
सूत्रों के अनुसार ,अगस्त में लगभग 12 लाख श्रद्धालु रामलला के दर्शन को पहुंचे थे जबकि सितम्बर में यह संख्या डेढ़ लाख के आस-पास ही सिमटती लग रही है, और प्रेक्षक इसके पीछे सख्त सुरक्षा व्यवस्था और फैसले के बाद उत्पन्न होने वाली स्थिति को लेकर जनता के मन में उठ रही आशंकाओं को ही कारण मान रहे हैं. महन्त सत्येन्द्र दास ने बताया कि इन दिनों पितृपक्ष चल रहा है और आम वष्रो में इस दौरान अपने पितरों को पिण्डदान करने के लिये सरयू तट पर श्राद्ध के लिये आने वाले लोगों की संख्या अच्छी खासी रहती है, मगर इस बार वह भीडभाड़ दिखायी नहीं पड़ रही है.

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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 25 सितम्बर को रामलला के दर्शन के लिये दिन भर में कुल 27 सौ श्रद्धालु ही आये और उनमें भी बड़ी संख्या उन सुरक्षा कर्मियों की थी जो सुरक्षा व्यवस्था चुस्त किये जाने के लिये अतिरिक्त तैनाती के सिलसिले में यहां आये हैं.

स्थानीय लोग बताते हैं कि 23 सितम्बर को पड़ी भादो पूर्णिमा के दिन भी अयोध्या के मन्दिरों और घाटों पर आम वष्रो पर जुटने वाले मेलों के मुकाबले वीरानी सी ही रही और बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तो खासी कम थी.{mospagebreak}
स्थानीय व्यवसायी आकाश गुप्ता ने बताया, ‘हमारा व्यवसाय तो बाहर से आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के सहारे ही चलता है जो इन दिनों चौपट सा हो गया है. ‘उन्होंने बताया कि अदालत के फैसले के मद्देनजर की गयी सख्त सुरक्षा व्यवस्था और बड़ी संख्या में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती एवं निगरानी से राम नगरी में कर्फ्यू से हालात बन रहे हैं जिससे माहौल में तनाव स्वाभाविक है.

उल्लेखनीय है कि अदालत के 30 सितम्बर को आने वाले फैसले के मद्देनजर फैजाबाद और अयोध्या में केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों की 14 और पीएसी की 22 कंपनियां तैनात की गयी हैं. राज्य पुलिस एवं अन्य सुरक्षा बलों की तैनाती अलग है.

अयोध्या में क्लिनिक चलाने वाली डा पुष्पा श्रीवास्तव का कहना है कि ‘अयोध्या-फैजाबाद में मंदी का दौर आ गया लगता है. ‘सरयू कुंज, रामजानकी मन्दिर के महंत युगल किशोर शरन शास्त्री कहते हैं कि ‘‘फैसला जो भी आये सबको उसका स्वागत करना चाहिए, अनिश्चय और संशय का वातावरण समाप्त होना चाहिए और सबको मिलकर आपसी सौहार्द, एकता, भाईचारा को मजबूत करके जनतंत्र को ताकत देनी चाहिए.

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