उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान के खिलाफ मोर्चा खोलने और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के रामपुर दौरे का विरोध करने पर कांग्रेस को दो नेता संकट में फंस गए हैं. उन पर छह साल के लिए पार्टी से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है. उत्तर-प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने दोनों नेताओं को नोटिस जारी कर पांच दिनों के भीतर जवाब मांगा है. कांग्रेस ने यह कार्रवाई समाजवादी पार्टी की ओर से आक्रामक रुख्त अख्तियार करने पर की है. दरअसल रामपुर में दोनों नेताओं की ओर से आजम खान के खिलाफ मोर्चा खोले जाने से नाराज सपा ने कांग्रेस पर बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाया था. जिसके बाद बैकफुट पर आई कांग्रेस ने अपने दोनों नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की है.
यूपी के कांग्रेस नेता फैसल खान लाला ने पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के नौ सितंबर को रामपुर आने पर दंगा भड़कने की आशंका जताई थी. उन्होंने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को लिखे खत में कहा था कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव 9 सितंबर 2019 को भूमाफिया आजम खान के समर्थन में रामपुर में पहुंचकर दंगे कराना चाहते हैं.
राज्यपाल को लिखे खत में फैसल खान लाला ने कहा कि रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान के खिलाफ संगीन धाराओं के तहत लगभग 80 मुकदमें जनपद के विभिन्न थानों में दर्ज हैं. इनमें लूट, चोरी, डकैती, गैर इरादतन हत्या, भड़काऊ भाषण, उन्माद फैलाना, किसानों और यतीमों की जगह पर नाजायज कब्जा करना शामिल हैं. कांग्रेस नेता लाला ने कहा कि आजम खान की यूनिवर्सिटी से पुलिस ने चोरी का माल भी बरामद किया है और उनको भूमाफिया घोषित किया है. मगर अखिलेश यादव रामपुर में दंगे की साजिश रच रहे हैं.
इसी तरह उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष मतीउर्रहमान उर्फ बबलू ने भी आजम खान के समर्थन में रामपुर में अखिलेश यादव के प्रस्तावित दौरे को लेकर विरोध जताया था. विरोध के कारण अखिलेश ने रामपुर का दौरा रद्द कर दिया था.
सपा ने कांग्रेस पर बोला था हमला
कांग्रेस के दोनों नेताओं की ओर से खुलेआम आजम खान और अखिलेश यादव का विरोध किए जाने पर समाजवादी पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. सपा के एमएलसी और पार्टी प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने ट्वीट कर कहा था कि धर्मनिरपेक्षता की झंडाबरदार कांग्रेस आज भाजपा के छुटभैया नेताओ के हाथ खेल रही है. कांग्रेस नेतृत्व की बोलती बंद है.हम संघर्ष को तैयार है.मगर राजनीति की मौन सहमति का स्पष्ट होना ज़रूरी है.
उन्होंने दूसरे ट्वीट में आरोप लगाते हुए कहा था, "राष्ट्रीय दलों की वैचारिक सहमति है कि क्षेत्रीय दलो को तरक़्क़ी नहीं करने देना है.इसके लिए @RahulGandhi जी को मोदी जी से मिलकर भी काम करना पसंद है. इस तथ्य को रामपुर के कांग्रेसी सच साबित कर रहे है. कांग्रेस नेतृत्व मौन है. "
नोटिस में पार्टी ने क्या कहा
फैसल लाला को दिए कारण बताओ नोटिस में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अनुशासन समिति ने कहा है कि आप आजम खान प्रकरण में लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. आपकी यह बयानबाजी पुरानी रंजिश के कारण है. आप अपने निजी हित में पार्टी के बैनर का इस्तेमाल करके राजनैतिक रूप देकर हिसाब बराबर करने की कोशिश कर रहे हैं और इस क्रम में आप बीजेपी के हाथों का खिलौना बन गए हैं. आपकी तरफ से ऐसा कृत्य करना व्यक्तिगत तौर पर अनैतिक है बल्कि पार्टी के नाम का दुरुपयोग करने की श्रेणी में आता है.
आप खुद को यूपी कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग का प्रदेश उपाध्यक्ष बताकर ऐसा कृत्य कर रहे हैं, जबकि इस पद पर आप हैं ही नहीं. पांच दिन में जवाब न देने पर छह साल के लिए निष्कासन की कार्रवाई होगी.
इसी तरह उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष मतीउर्रहमान उर्फ बबलू को भी पार्टी ने नोटिस जारी किया है. नोटिस में कहा गया है कि आपने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के रामपुर आगमन को लेकर बिना पार्टी की अनुमति व बिना सूचित किए आपने बयान दिया है. आपका यह कृत्य घोर अनुशासनहीनता की परिधि में आता है.