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मुसलमान क्यों नहीं बन सकता देश का प्रधानमंत्री?: आजम खान

समाजवादी पार्टी नेता और उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री आजम खान ने चुटकी लेने वाले अंदाज में मंगलवार को कहा कि वो प्रधानमंत्री होना चाहते हैं.

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आजम खान
आजम खान

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समाजवादी पार्टी नेता और उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री आजम खान ने चुटकी लेने वाले अंदाज में मंगलवार को कहा कि वो प्रधानमंत्री होना चाहते हैं. आजम ने सवालिया लहजे में ये भी कहा कि कोई मुसलमान क्यों नहीं हो सकता देश का प्रधानमंत्री?

असल, आजम से यूपी में समाजवादी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का नाम तय किए जाने के संबंध में सवाल किया गया था. इस पर आजम ने कहा, "देखो मैंने अपना नाम वापस लिया है, दो ही नाम थे, अब बताओ क्या होगा?"

आजम से जब पूछा गया कि कोई मुसलमान क्यों नहीं उत्तर प्रदेश का सीएम हो सकता तो उन्होंने कहा, "आप मेरा कद छोटा किए दे रहे हो, मैं प्रधानमंत्री होना चाहता हूं. आप मुझे सीएम पर सिमटाए दे रहे हो? बताओ क्यों मुसलमान नहीं हो सकता देश का प्रधानमंत्री?"

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'राम गोपाल ने मुझसे पूछकर नहीं लिखी चिट्ठी'
आजम खान यहां ई-रिक्शा वितरण कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे. आजम से जब समाजवादी पार्टी नेता राम गोपाल यादव की ओर से पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव को तल्ख चिट्ठी लिखे जाने के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "ये सवाल राम गोपाल यादव से ही किया जाना चाहिए, उन्होंने मुझसे पूछ कर तो ये चिट्ठी लिखी नहीं थी."

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कोई टिप्पणी नहीं
बीजेपी की ओर से अयोध्या में रामायण म्युजियम बनाने के ऐलान और फिर बीजेपी सांसद विनय कटियार की ओर से पहले राम मंदिर बनाने पर जोर दिए जाने संबंधी सवाल पर आजम ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट का आदेश यथास्थिति बरकरार रखने का है. इसके अलावा दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रख सकते हैं. जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, हम कुछ नहीं कह सकते. ये वही लोग कह सकते हैं और कर सकते हैं जो कानून को नहीं मानते."

आजम ने कहा, "6 दिसंबर 1992 को भी हाईकोर्ट का यथास्थिति रखने का आदेश था. एकता परिषद का रिसोल्यूशन था. तत्कालीन सीएम का हलफनामा था कि मस्जिद को नहीं छुएंगे. लेकिन बाबरी मस्जिद तोड़ दी गई. उसके बाद तीन दिन तक तत्कालीन प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार को बर्खास्त नहीं किया था, और इस बीच चबूतरा बनता रहा."

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आजम खान ने कहा, "अगर कोई कानून अपने हाथ में लेता है तो वो मुजरिम है. हम कानून को मानने वाले लोग हैं. तब भी हम यही कहते थे कि जो कोर्ट का फैसला हो वो सब मानें."

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