अजीज कुरैशी ने केंद्र सरकार को चुनौती दी है कि वह उन पर लगे आरोपों की जांच के आदेश दे और कहा कि उत्तराखंड में उनके कार्यकाल के दौरान लगाए गए एक भी आरोप अगर सिद्ध हो तो उन्हें चौराहे पर फांसी दी जाए.
आपको बता दें कि कुरैशी को शनिवार को मिजोरम के राज्यपाल के पद से हटा दिया गया था. राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया, 'कुरैशी के मिजोरम के राज्यपाल का पद संभालने पर रोक लगाई जाती है.' कुरैशी का कार्यकाल मई 2017 तक था.
कुरैशी पर उत्तराखंड राज भवन गोल्फ क्लब के गैरकानूनी तरीके से काम करवाने और दो विश्वविद्यालय के वीसी कार्यकाल को बढ़ाने का आरोप है. इसके अलावा राज्य के विमान के इस्तेमाल की बात को उन्होंने तकनीकी खामी बताया.
कुरैशी ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, 'अखबारों में मेरे खिलाफ खबरें छप रही हैं, लेकिन सब खबरें झूठी और निराधार है. मेरी छवि को खराब करने की कोशिश है. मैं सरकार को चुनौती देता हूं कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को बैठाकर इन आरोपों की जांच कराए और अगर आरोप साबित होते हैं तो चौराहे पर मुझे फांसी दी जाए.'
उन्होंने कहा, 'जब भी प्लेन बुलाया गया, अधिकारियों द्वारा बुलाया गया. एडीसी या राजभवन से कई अधिकारी मेरे आधिकारिक यात्रा के लिए प्लेन बुलाते थे. ऐसा हो सकता है कि मेरी यात्रा के दौरान मेरे परिवार का कोई सदस्य या कोई करीबी दोस्त साथ गया हो, लेकिन इसके लिए कोई आपत्ति नहीं की गई. इसकी जानकारी हमेशा दे दी जाती थी.'
हालांकि, कुरैशी ने अपनी बर्खास्तगी पर कुछ नहीं कहा. उन्होंने कहा, 'मेरी याचिका सुप्रीम कोर्ट में है. इसकी सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच बैठाई गई है. मुझे सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है, जो फैसला आएगा मुझे मंजूर होगा.
इसके अलावा कुरैशी ने अपने पूर्व अधिकारी वक्कम पुरुषोत्तम के बयान का समर्थन किया और कहा, 'गवर्नर के साथ क्लर्क की तरह व्यवहार करना गलत है. इस तरह के व्यवहार पद की गरिमा को कम करते हैं. ये एक संवैधानिक पद है.' अपने मिजोरम के अनुभव के लिए कुरैशी बोले, 'यहां के लोग बहुत अच्छे और साफ बोलने वाले, अनुशासित हैं. काश मैं यहां कुछ और वक्त काम कर पाता.'
गौरतलब है कि कमला बेनीवाल के बाद कुरैशी दूसरे राज्यपाल हैं, जिन्हें नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद उनके पद से हटाया गया है. उन्हें कुछ ही महीने पहले मिजोरम का राज्यपाल बनाया गया था.
महाराष्ट्र के राज्यपाल के शंकरनारायणन, जिन्हें मिजोरम स्थानांतरित किया गया था, ने अपना नया पदभार संभालने से इंकार करते हुए इस्तीफा दे दिया था. कुरैशी, उन राज्यपालों में शामिल थे, जिन्हें कांग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था. तत्कालीन गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने उनसे सरकार बदलने के बाद पद छोड़ने को कहा तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उस समय वह उत्तराखंड के राज्यपाल थे.