संबंधों और संबंधियों के लिए ये समय अनुकूल नहीं है. एक तरफ शिवसेना-बीजेपी और कांग्रेस-एनसीपी का गठबंधन टूटा, दूसरी तरफ जयललिता को जमानत नहीं मिल रही. बेल न मिल पाने के कारण इकलौती ‘अम्मा’ ही दु:खी नहीं हैं, साथ में संजू ‘बाबा’ और आसाराम ‘बापू’ भी इसी व्यथा के मारे हैं.
तैयारियां तो ‘भाई’ सलमान खान के जेल जाने की भी होती रहती हैं पर दैवयोग से वो अभी बचे हुए हैं और ठीक भी बचे हुए हैं क्योंकि जेल जाते ही अम्मा के बाद वो दूसरे अविवाहित होंगे जो शादी किये बिना ही ‘ससुराल’ पहुँच गए. ‘बहन’ मायावती फिलहाल इस सबसे दूर हैं पर दु:खी बराबर हैं क्योंकि साथ ही सत्ता से भी दूर हैं, उनकी कुर्सी और नींद ‘बाप-बेटे’ ने उड़ा रखी है. इस बीच किसी ने ममता ‘दी’ की धड़कनें यह पूछकर बढ़ा दी कि चार में से तीन महानगर दिल्ली, मुम्बई और चेन्नई टेक्निकली मुख्यमंत्री विहीन हो चुके हैं ऐसे में आप कब तक कोलकाता संभाल सकेंगी?
कहने को तमिलनाडु के पास नए मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम भी हैं, जो शपथ ग्रहण करते-करते भावातिरेक में रो पड़े थे. अम्मा को नो-बेल मिलने की खबर सुनते ही फिर उनकी आँख में आंसू आ गए. कुछ मसखरों का इस पर कहना था कि इस बार ये खुशी के आंसू थे, जो कुर्सी पक्की होने की ख़ुशी में छलक पड़े हैं.
आंसू चाहे जैसे रहे हों पर एक बात निश्चित तौर पर कही जा सकती है अगर ये अपने मंत्रिमंडल के साथ इसी तरह अगले चुनावों तक टेसुए बहाते रहे तो तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी जल विवाद तो यूं ही सुलझ जाएगा.
ऐसा भी नहीं कि यह समय सारे संबंधियों के लिए फलदायी नही हैं, ‘दामाद’ के जलवे पहले की तरह ही हैं, न तो पिछली सरकार में उन्हें कुछ हुआ न ‘अबकी बार’ ने छुआ. हाँ, ये जरूर है कि दामाद पर उंगलियाँ लगातार उठती रहती हैं. हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान मोदी जी किसानों से बिना नाम लिए पूछ लेते हैं. ‘आपको पता है न आपकी जमीनें किसने खाई हैं?’ सामने से जनता किसी का भी नाम ले पर तब तक गडकरी जी अपना पेट ढँककुर्सी के पीछे छुप जाते हैं. कभी-कभी इंसान दूसरे से चुनाव तो जीत जाता है पर खुद के शरीर से हार जाता है.
‘अम्मा’ के मुकदमे की सुनवाई में एक मोड़ ऐसा भी आया जब बचाव पक्ष और सरकारी वकील सशर्त जमानत देने पर सहमति बना बैठे थे, लेकिन कर्नाटक हाईकोर्ट ने मना कर दिया. उनके अनुसार भ्रष्टाचार मानवाधिकार का उल्लंघन है जो समाज में असमानता पैदा करता है. ये टिप्पणी कोर्ट ने उन तमाम पतियों की मजबूरी को ध्यान में रखकर की, जिनकी पत्नियों को अब पता चल गया है कि अम्मा के पास दस हजार से ज्यादा साड़ियां थी.
जयललिता को जमानत न मिलने के साथ ये भी साबित हो गया कि हिंदुस्तान एक गजब का मुल्क है जहां कोई अपने मन की तो कर ही नही सकता, जयललिता बाहर आना चाहती हैं तो उन्हें बाहर नहीं आने दिया जा रहा. दूसरी तरफ पाकिस्तानी कश्मीर में घुसना चाहते हैं और उन्हें अन्दर नहीं आने दिया जा रहा. जयललिता के पास अब एक ही विकल्प बचा है कि वो माननीय हाईकोर्ट से विनती करें कानूनन न सही ‘जॉय ऑफ गिविंग वीक’ मानकर ही जमानत दे दें.
आशीष मिश्रा फेसबुक पर सक्रिय युवा व्यंग्यकार और पेशे से इंजीनियर हैं.