योगगुरु रामदेव ने सोमवार को संकेत दिया कि वह जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का अपना दौरा रद्द कर सकते हैं, जहां उन्हें मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया है. वहीं विश्वविद्यालय ने एक छात्र समूह की आमंत्रण वापस लेने की मांग ठुकरा दी है.
रामदेव को बुलाने का विरोध कर रहे छात्रों ने जहां इसे जेएनयू पर दक्षिणपंथियों को मूक हमला करार दिया है वहीं, रामदेव को 30 दिसंबर को संबोधन के लिए बुलाए जाने की विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी आलोचना की है.
रामदेव ने ट्वीट करके दी जानकारी
रामदेव ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘मैंने और मेरे कार्यालय ने जेएनयू में किसी परिचर्चा या कार्यक्रम की पुष्टि नहीं की है. अगर वक्त होता तो मैं अपने वैचारिक रुझान के बावजूद स्पष्ट, वैज्ञानिक और तार्किक चर्चा के लिए निश्चित तौर पर जाता. निकट भविष्य में जब भी संभव होगा जेएनयू में छात्रों और संकाय के साथ बात करना पसंद करूंगा.’ हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन ने उल्लेख किया कि रामदेव की तरफ से आमंत्रण को लेकर अस्वीकृति या स्वीकार के बारे में कुछ नहीं कहा गया है.
Though I am not able to attend JNU event due to some other engagement. But fight around #BabaBlocked in an academic campus is unfortunate
— Swami Ramdev (@yogrishiramdev) December 28, 2015
'राजनीतिक जुड़ाव को समर्थन देने का इरादा नहीं'
आयोजन समिति के सदस्य, जेएनयू के प्रोफेसर जी.एन. झा ने कहा , ‘योग के क्षेत्र में रामदेव ने जो गुणवत्तापूर्ण काम किया है, उसे देखते हुए उन्हें आमंत्रित किया गया. प्रशासन का किसी राजनीतिक जुड़ाव को समर्थन देने का इरादा नहीं है. छात्रों को अपना विरोध दर्ज कराने का अधिकार है लेकिन उन्हें आमंत्रित करने के रुख पर हम कायम हैं.’ हालांकि जेएनयू छात्र संघ का कहना है कि जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को यह शोभा नहीं देता कि वह ऐसी सवालिया पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को विद्वानों की सभा को संबोधित करने के लिए बुलाए.
‘22वीं इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ वेदांता’ का आमंत्रण
छात्रों ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से ‘22वीं इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ वेदांता’ में शामिल होने के लिए योग गुरु को दिया गया अपना आमंत्रण वापस लेने के लिए कहा और ऐसा नहीं करने पर विरोध प्रदर्शन के प्रति आगाह किया है.
'बिस्कुट बेचने वाले को बुलाना सही नहींं'
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा , ‘बाबा रामदेव एक विवादास्पद शख्सियत और कारोबारी हैं. उनके और उनके संगठन की गतिविधियों के बारे में अतीत में कई तरह के सवाल उठते रहे हैं.’ उन्होंने सवाल किया, ‘सरकार रेलवे, सेना यहां तक कि संसद में रामदेव को एक तरह से तरजीह दे रही है जहां पतंजलि के बिस्कुट बेचे जा रहे हैं. सवाल यह है कि इस तरह की ख्याति क्या उचित है?’ जेडीयू नेता के.सी. त्यागी ने कहा, ‘जेएनयू केवल भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर एक प्रख्यात संस्थान है. यह ज्ञान का केंद्र है और रामदेव जैसे लोगों की यहां जगह नहीं है,’
कांग्रेस नेता राज बब्बर ने कहा कि छात्रों के नजरिए का सम्मान किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘यह जेएनयू से जुड़ा मामला है. ऐसे मुद्दे पर छात्रों और छात्र संगठनों के फैसले का सम्मान होना चाहिए.’ विश्वविद्यालय के स्पेशल सेंटर फॉर संस्कृत स्टडीज ने इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड साइंसेज, डर्टमाउथ अमेरिका और सेंटर फॉर इंडिक स्टडीज, यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स, डर्टमाउथ की भागीदारी से 27 दिसंबर को तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया है. रामदेव को 30 दिसंबर को संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया.