पद्म पुरस्कारों के नामों का औपचारिक एलान भले न हुआ हो, पर दिल्ली बीजेपी की सीएम उम्मीदवार किरण बेदी ने तो लालकृष्ण आडवाणी और बाबा रामदेव को पहले ही बधाई दे डाली. इस पर सियासत भी तेज हो गई है. जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा, 'अगर बाबा रामदेव को आडवाणी जी के साथ अवॉर्ड दिया जा रहा है तो यह आडवाणी जी का अपमान है.' सोशल मीडिया पर भी लोगों की काफी प्रतिक्रिया आ रही है. जहां तक ट्विटर ट्रेंड की बात है तो वहां – बाबा रामदेव ही छाए हुए हैं.
बाबा रामदेव की राजनीति
पद्म पुरस्कारों की संभावित सूची में सीधे तौर पर दो राजनेताओं के नाम हैं - पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल. सीधे न सही लेकिन बाबा रामदेव का नाम इस सूची में उनकी अप्रत्यक्ष राजनीति के कारण ही शामिल हुआ होगा. रामलीला मैदान की आधी रात की घटना से बाबा रामदेव के जीवन में एक टर्निंग प्वाइंट आया. वक्त था आधी रात का ( 4-5 जून, 2011). पुलिस कार्रवाई के दौरान बाबा रामदेव महिलाओं की ड्रेस में भूमिगत हुए और फिर हरिद्वार में सीधे मीडिया के सामने प्रकट होकर अपनी हत्या का आरोप लगाया. कुछ ही दिन बाद केंद्र में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ उन्होंने मुहिम छेड़ दी. 2014 के लोक सभा चुनाव में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के पक्ष में जम कर प्रचार किया, जिसके बाद उन्हें बीजेपी नेताओं की वाहवाही भी खूब मिली. साथ ही की विवाद भी सुर्खियों में छाए रहे. चुनाव प्रचार के दौरान रामदेव की सभाओं पर भी चुनाव आयोग की नजर रही. बाद में तो एक नेता को यह तक कहते सुना गया कि बाबा रामदेव की वजह से ही उसे बीजेपी का टिकट भी मिल पाया.
योग गुरु या कंज्यूमर ब्रांड?
इसमें कोई संदेह नहीं है कि बाबा रामदेव ने योग को भारत में आम आदमी तक पहुंचाया. ठीक वैसे ही जैसे पश्चिम में भारतीय योग को महर्षि महेश योगी और शास्त्रीय संगीत को पंडित रविशंकर ने सम्मान दिलाया.
Baba Ramdev ने काले धन पर शोर मचा कर व्यापार 2k करोड़ तक पहुंचा दिया और Z+ के बाद Padma Award ले लिया जनता को मिला सिर्फ बाबा जी का ठुललु — Swami (@mohitraj) January 23, 2015
बदलते दौर और ताजा सियासी समीकरण में बाबा रामदेव के भगवा लिबास में आध्यात्मिक की जगह व्यावसायिक और राजनीतिक रंग ज्यादा चटख नजर आने लगे हैं. योग गुरु के तौर पर अपनी लोकप्रियता को भुनाते हुए बाबा रामदेव उपभोक्ता वस्तुओं की दुनिया में खुद को एक ब्रांड के तौर पर स्थापित कर चुके हैं. एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार 2012 में बाबा रामदेव की पतंजलि आर्युवेद का सालाना टर्नओवर करीब 450 करोड़ था. साल 2013 में ये टर्नओवर दोगुने से थोड़ा कम 850 करोड़ पहुंचा और 2014 में 1200 करोड़ पहुंच गया. अब 2014-15 के वित्तीय वर्ष में कंपनी का सालाना टर्नओवर 67 फीसदी की छलांग के साथ 2000 करोड़ पहुंचने की उम्मीद जताई गई है.
बदले में क्या-क्या मिला?
पद्म पुरस्कारों में सर्वोच्च - पद्म विभूषण की संभावित सूची में शामिल बाबा रामदेव को हाल फिलहाल जो भी मिला वह अनेक फुल टाइम नेताओं के लिए सपने जैसा ही है. हरियाणा सरकार ने बाबा रामदेव को राज्य का ब्रांड अंबेसडर मनोनीत किया है. कुछ ही दिन पहले उन्हें 'जेड' कैटेगरी की सुरक्षा भी मिल चुकी है. ट्विटर ट्रेंड में बाबा रामदेव को पद्म विभूषण दिये जाने को लेकर लोग खूब ट्वीट भी कर रहे हैं.
Ramdev's recent jackpots: Haryana brand ambassador Z category security Balkrishna ED case closed Khadi brand ambassador Padma Vibhushan
— St_Hill (@St_Hill) January 23, 2015
और अंत में...
Baba Ramdev. Started with Padma-sana. Ended up with Padma Bhushan. And in between, in Ramlila Maidan, just Padma.
— Ramesh Srivats (@rameshsrivats) January 23, 2015
बाबा रामदेव के साथ आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर को भी पद्म विभूषण दिये जाने की बात चल रही है. बताते हैं कि जिस तरह लोकसभा चुनाव में बाबा रामदेव की वजह से बीजेपी को सत्ता की राह में काफी सहूलियत मिली, उसी तरह हरियाणा में भी स्थानीय बाबाओं से खासी मदद मिली. मुमकिन है - आने वाले दिनों में पद्म पुरस्कारों की सूची में बाबाओं की तादाद भी उनके फॉलोवर्स के हिसाब से नजर आए.