अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल की दलील पर मचे विवाद पर अब सफाई देने एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड यानी AOR आगे आए. ये अलग बात है कि अदालती दस्तावेज और आदेश दोनो के बीच उनकी दलीलें फंस गई हैं. इस मामले में मुख्य तीन पक्षकारों में से एक यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के AOR शाहिद रिजवी ने सफाई दी कि कपिल सिब्बल उनके वकील नहीं थे.
लेकिन आजतक ने जब उनको इसी मामले में उन्हीं के दस्तखत वाली पेशी की पर्ची दिखाई जिस पर पहले नम्बर में कपिल सिब्बल का नाम है तो उन्होंने कहा कि नाम हो सकता है पर कोर्ट ऑर्डर में उनका जिक्र हाशिम अंसारी के वकील के तौर पर लिखा है. सुनवाई के दौरान भी कोर्ट ने जब सिब्बल से पूछा कि वो किनकी तरफ से पेश हो रहे है तो उन्होंने अंसारी का ही नाम लिया था.
रिजवी ने कहा कि कोर्ट के आर्डर में भी सिब्बल की दलीलें अंसारी के पक्ष में हैं. इसी बीच मामले में सफाई के लिए अंसारी के वकील शमशाद भी कूद पड़े. उन्होंने हामी भरी कि सिब्बल हमारे वकील थे. उनकी दलीलों से हम सहमत हैं. उन्होंने जो भी कहा वो हमारे कहने पर कहा.
फिर पहुंचे अनूप जॉर्ज चौधरी, सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील. चौधरी पांच दिसम्बर की सुनवाई में अदालत में नहीं पेश हुए. अब कहते हैं कि सिब्बल अंसारी के ही वकील हैं. पर्ची कुछ भी कहे मान्यता वकील की स्वीकारोक्ति को ही मिलेगी. सिब्बल ने कोर्ट के अंदर और बाहर कह दिया है कि वो अंसारी के लिए कोर्ट में पेश हुए. सिब्बल के बयान की तस्दीक कोर्ट आर्डर से भी हो रही है.
लेकिन इस पूरे गुलगपाड़े में खामख्वाह कांग्रेस को राजनीतिक नुकसान हो गया. यानी ये मामला यूं तो कानूनी है पर इसकी तासीर राजनीतिक ज्यादा है. कोर्ट के अंदर और बाहर सिर्फ सियासत ही है.