बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी , मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 10 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है.
बुधवार को न्यायाधीश पीसी घोष और न्यायाधीश रोहिंटन नरीमन की संयुक्त पीठ ने मामले में सीबीआई की अपील पर यह फैसला सुनाया है. हालांकि कोर्ट ने मामले में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह राहत दी है.
अदालत ने उनको राज्यपाल होने की वजह से यह राहत दी है. साथ ही अदालत ने इस बाबत दोनों केस की सुनवाई एक साथ करने का आदेश दिया है. इससे पहले छह अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. दरअसल, छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहा दिया गया था, जिसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए. मामले में आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कल्याण सिंह समेत 13 लोगों के खिलाफ केस चलाने की मांग की गई थी.
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की टाइमलाइन
* 6 दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाया गया, जिसमें दो FIR दर्ज की गईं.
* मामले में 197 कार सेवकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया.
* बाबरी मस्जिद से 200 मीटर के दायरे में उपस्थित 198 बीजेपी-वीएचपी के नेताओं के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया.
* 197 कार सेवकों के मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई, जबकि दूसरे केस की जांच UP CID को सौंपी गई.
* हाईकोर्ट की अनुमति से उत्तर प्रदेश सरकार ने कार सेवक मामले की सुनवाई के लिए लखनऊ में दो विशेष कोर्ट गठित की.
* दूसरे केस की सुनवाई रायबरेली के कोर्ट में हुई. मामले में शुरुआत में बीजेपी नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने की धारा नहीं लगी थी, लेकिन अप्रैल 1993 में पुलिस ने अदालत में अर्जी लगाकर आपराधिक
साजिश रचने की धारा 120 B लगाने की इजाजत मांगी और फिर अदालत ने इसकी मंजूरी दे दी थी.
* रायबरेली मामले की सुनवाई भी लखनऊ विशेष कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. साल 2001 में हाईकोर्ट ने संयुक्त रूप से चार्जशीट दाखिल करने को सही ठहराया.
हालांकि राज्य के कानून का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने मामले को लखनऊ ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया.
* सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद पुनर्विचार और क्यूरेटिव याचिकाएं खारिज कर दी. वहीं, बाद में रायबरेली की अदालत ने सभी नेताओं के ऊपर से आपराधिक साजिश की धारा हटा
दी.
* 20 मई 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा.
* मामले में साल 2011 में सीबीआई ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
* साल 2015 में मामले के पीड़ित हाजी महमूद हाजी ने भी SC में याचिका दायर की.