बाबरी मस्जिद विध्वंस के बुधवार को 25 साल पूरे हो रहे हैं. इससे पहले ही केंद्र ने सभी राज्यों को सतर्क रहने और शांति सुनिश्चित करने को कहा है ताकि देश में कहीं भी सांप्रदायिक तनाव की घटना ना हो. दूसरी तरफ, विध्वंस की 25वीं वर्षगांठ से ठीक एक दिन पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद पर सुनवाई हुई. इसके बाद मसले पर राजनीति भी गर्म हो गई है.
एहतियात इसलिए भी जरूरी है कि 6 दिसंबर को जहां विहिप शौर्य दिवस के रूप में मनाती है, वहीं कुछ मुस्लिम संगठन इसे कलंक दिवस के रूप में मनाते हैं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. कोर्ट में अब अगली सुनवाई 8 फरवरी 2018 को होगी. सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई 2019 तक टालने तक कही है. वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सभी दस्तावेज पूरे करने की मांग की है.
गरमाई राजनीति
सिब्बल द्वारा मामले को टालने की अपील के बाद ही इस मामले में राजनीति तेज हो गई है. इस मुद्दे को लेकर बीजेपी ने सीधा कांग्रेस पर हमला बोला है. खुद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सीधे राहुल गांधी से पूछा है कि राम मंदिर को लेकर आपकी पार्टी और आपका क्या स्टैंड है? राम मंदिर के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अमित शाह ने कहा कि बीजेपी चाहती है कि जल्द से इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो और फैसला आए. जिससे अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन सके, जो कि देश की आस्था से जुड़ा हुआ है.
इसके जवाब में कांग्रेस ने कहा कि सिब्बल एक वकील की हैसियत से वक्फ बोर्ड की तरफ से पैरवी कर रहे हैं और यह उनका व्यक्तिगत मामला है, पार्टी का विचार नहीं. कांग्रेस ने कहा कि अरुण जेटली ने तो भोपाल गैस ट्रेजडी में आरोपियों की पैरवी की थी तो क्या उसे बीजेपी का पक्ष माना जाएगा. कांग्रेस ने कहा कि उसका हमेशा यह रुख रहा है कि अयोध्या मसले का हल सुप्रीम कोर्ट में हो.
राज्यों को सर्तक रहने का निर्देश
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे एक पत्र में उनसे संवेदनशील जगहों पर पर्याप्त सुरक्षा बलों की तैनाती करने और अतिरिक्त सतर्कता बरतने को कहा है, ताकि शांति व्यवस्था में खलल डालने की किसी भी कोशिश को नाकाम किया जा सके.
मंत्रालय ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के 25 साल पूरे होने के मौके पर दोनों समुदायों द्वारा धरना और प्रदर्शन किए जा सकते हैं. हालांकि, मंत्रालय ने समुदायों का नाम नहीं लिया.
मंत्रालय ने हाल ही में भेजे परामर्श में कहा है कि इसलिए एहतियाती उपाय किए गए हैं और अत्यधिक सतर्कता बरती जा रही है ताकि शांति एवं साम्प्रदायिक सौहार्द सुनिश्चित हो सके. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिरा दिया गया था जिसके बाद दंगे हुए थे, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे.
अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि ज्यादातर राज्य सरकारों द्वारा संवेदनशील स्थानों, धार्मिक स्थलों, बाजारों, बस टर्मिनलों और रेलवे स्टेशनों पर अतिरिक्त बल तैनात किए जाने की उम्मीद है ताकि कानून व्यवस्था कायम रखी जा सके.
शौर्य दिवस और कलंक दिवस
विश्व हिंदू परिषद ने घोषणा की है कि विवादित ढांचा (बाबरी मस्जिद) विध्वंस के 25 साल पूरे होने पर अयोध्या और लखनऊ में कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे. हर साल छह दिसंबर को विवादित ढांचा विध्वंस की सालगिरह को मनाने वाली विहिप ने आने वाली 6 दिसंबर को इस घटना के 25 वर्ष पूरे होने पर अयोध्या और लखनऊ में अनेक कार्यक्रमों के आयोजन की तैयारी की है. विहिप ने 6 दिसंबर को लखन में शौर्य संकल्प सभा का आयोजन करने का निर्णय लिया है. इसके अलावा अयोध्या के कारसेवकपुरम में दोपहर में आयोजित होने वाली बैठक में बड़ी संख्या में साधु-संतों के पहुंचने की संभावना है. इन कार्यक्रमों की तैयारी जोरों पर हैं.
दूसरी तरफ, कुछ मुस्लिम संगठनों ने 6 दिसंबर को कलंक दिवस के रूप में मनाने का निर्णय है. मुसलमान अपने मकानों, दुकानों तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर विरोध स्वरूप काले झंडे फहराएंगे. बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने लोगों से काली पट्टी बांधने तथा अपना करोबार बंद रखने की अपील की है.