इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामन नेतन्याहू इस समय अपनी छ: दिवसीय भारत यात्रा पर हैं. नेतन्याहू आज आगरा में ताज का दीदार करेंगे. अपने दौरे में वे मुंबई भी जाएंगे. मुंबई की यात्रा इसलिए भी खास है क्योंकि मुंबई आतंकी हमले में अपने मां-बाप को खोने वाला बच्चा मोशे भी इसमें शामिल होगा. मोशे मंगलवार सुबह ही मुंबई पहुंचा, इस दौरान इजरायल के अधिकारियों ने उसका स्वागत किया. मुंबई पहुंच मोशे के नाना ने कहा कि मोशे यहां वापस आकर बहुत खुश है, मुंबई अब पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित जगह है.
मोदी ने भी की थी मुलाकातMoshe Holtzberg(Baby Moshe), who lost his parents in the 26/11 terror attacks, arrives in Mumbai again pic.twitter.com/W3U7jL6ZLF
— ANI (@ANI) January 16, 2018
पिछले साल अपनी इजरायली यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने उस समय एक बच्चे मोशे से मुलाकात की थी और उसे भारत आने के न्योता दिया था. मोशे इस बार भारत आया है और 17 जनवरी को मुंबई में इजरायली पीएम के साथ मौजूद रहेगा. 18 जनवरी को ही पीएम मोदी, पीएम नेतन्याहू के साथ मोशे भी चाबाड हाउस का दौरा करेगा.
जब सिर्फ दो साल का था मोशे
साल 2008 में मुंबई हमले में 2 साल (उस समय की उम्र) के मोशे होल्त्जबर्ग की जान बच गई थी जबकि उनके माता-पिता की इस हमले में मौत हो गई थी. आतंकी हमले में अपने माता-पिता को खोने वाला मोशे होलत्जबर्ग नौ साल बाद पहली बार इस हफ्ते शहर के नरीमन हाउस पहुंचेगा.
नहीं था शरीर पर कोई भी घाव
साल 2008 में मुंबई में जब हमले हुए उस दौरान मुंबई के नरीमन हाउस में मोशे के पिता रब्बी गैवरिएल और मां रिवका यहूदी केंद्र में मौजूद थे. दोनों इस हमले में मारे गए. उस समय मोशे की मां 6 महीने प्रेग्नेंट थीं. उस समय मोशे 2 साल के था और अपनी माता-पिता की लाशों के पास बैठे रो रहे था. मोशे के शरीर पर किसी तरह का कोई घाव नहीं था.
तभी भारतीय मूल की आया सैंड्रा सैमुअल ने मोशे को देखा और अपनी जान दांव पर लगाकर उन्हें बचाया. अब मोशे अब इजरायल में अपने नाना- नानी के साथ रहते हैं. मोशे एक नॉर्मल बच्चे की तरह स्कूल जाते हैं और खेलते हैं. मोशे की नानी का कहना है कि वो उनके लिए नाती नहीं बल्कि एक बेटे की तरह हैं. उनका कहना है कि हम मोशे को उसी तरह पाल रहे हैं और उसका ख्याल रख रहे हैं जिस तरह उसके माता- पिता करते.
सैंड्रा सैमुअल इन दिनों येरूशलेम में विकलांग बच्चों के रिहेबिलिटेशन सेंटर में काम कर रही हैं लेकिन वो हर हफ्ते मोशे से मिलने जाती हैं. मोशे की जान बचाने के लिए सैंड्रा को इजरायली सरकार ने 'राइटियस जेनटाइल' के अवॉर्ड से नवाजा था, यह गैर- यहूदियों को दिया जाने वाला सबसे सर्वोच्च पुरस्कार है.