भगवान बद्रीविशाल के कपाट बंद होने को लेकर बद्रीनाथ में प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इसी को लेकर आज सुबह भगवान गणेश अपने मूल स्थान से बद्रीश पंचायत में स्थापित हो गए हैं. सृष्टि का आठवां वैकुंठ कहलाने वाले बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने और बंद होने का एक तय समय होता है.
क्या है मान्यता?
मान्यता के अनुसार गणेश जी को नारद मुनि को सौंप दिया जाएगा, जिसके साथ ही भगवान गणेश की पूजा बद्रीनाथ धाम में अगले वर्ष कपाट खुलने तक बंद कर दी जाएगी. वहीं आज से ही बद्रीनाथ जी में पंच पूजा भी शुरू हो चुकी है.
वेद ऋचायें भी होंगी आज से बंद
बताया जा रहा है कि इसके साथ ही वेद ऋचायें बुधवार को बंद हो जाएंगी. साथ ही मुख्य पुजारी लक्ष्मी का स्त्री रूप रख विराजमान होंगे. बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी सत्यप्रकाश चमोला ने आजतक से बात करते हुए बताया कि कल से आदिकेदार के कपाट बंद कर दिए जाएंगे, जिसके उपरांत 15 नवंबर को हर वर्ष की भांति खड़क पुस्तक वेदपाठ व बद्रीनाथ में वेद ऋचाएं भी बंद हो जाएंगी.
उन्होंने ये भी बताया कि 16 नवंबर को मुख्य पुजारी रावल स्त्री रूप रख मां लक्ष्मी को न्योता देने जाएंगे और 17 नवंबर को मां लक्ष्मी का स्त्री रूप रख मुख्य पुजारी रावल बद्रीश पंचायत में विराजमान होंगे, जिसके उपरांत भगवान बद्रीविशाल के कपाट इस वर्ष के शीतकालीन प्रवास के लिए बंद कर दिए जाएंगे.