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बालाकोट के पराक्रम पर अंतरिक्ष से नजर रख रही थीं ISRO की ये तीन आंखें

जब पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों ने देश को छलनी किया. तब-तब ISRO ने सेना की मदद की. उरी हमले का बदला लेने के लिए जब सेना ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की, तब इसरो के मदद से ही आतंकियों के ठिकानों का पता किया गया.

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सांकेतिक तस्वीर (Courtesy- Facebook)
सांकेतिक तस्वीर (Courtesy- Facebook)

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  • रीसैट, कार्टोसैट और जीसैट उपग्रहों से मिली थी मदद
  • इनके कैमरे-यंत्र दुनिया के सबसे ताकतवर यंत्रों में

जब पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों ने देश को छलनी किया. तब-तब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organization - ISRO) ने सेना की मदद की. उरी हमले का बदला लेने के लिए जब सेना ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की, तब इसरो के उपग्रहों की मदद से ही आतंकियों के ठिकानों का पता किया गया. साथ ही लाइव तस्वीरें मंगाई गई. बालाकोट हमले में भी इसरो ने इसी तरह मदद की थी. इन सभी हमलों में इसरो के तीन सैटेलाइट सीरीज ने मदद की थी. आइए, जानते हैं इन तीन सैटेलाइट्स सीरीज के बारे में...

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रीसैटः सर्जिकल और एयर स्ट्राइक में की थी सेना की मदद

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सभी प्रकार के मौसम में पृथ्वी की तस्वीरें लेने में सक्षम. प्राकृतिक आपदाओं में मदद करेगा. इस उपग्रह के जरिए अंतरिक्ष से जमीन पर 3 फीट की ऊंचाई तक की उम्दा तस्वीरें ली जा सकती हैं. इस सीरीज के उपग्रहों को सीमाओं की निगरानी और घुसपैठ रोकने के लिए 26/11 मुंबई हमलों के बाद विकसित किया गया था.

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कार्टोसैटः कलाई पर बंधी घड़ी का समय भी देख लेगा

इसरो ने अब तक इस सीरीज के 8 उपग्रहों को लॉन्च कर चुकी है. कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा. यानी आप की कलाई पर बंधी घड़ी का समय भी देख लेगा. साथ ही प्रकार के मौसम में पृथ्वी की तस्वीरें लेने में सक्षम. प्राकृतिक आपदाओं में मदद करेगा. कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 0.25 मीटर यानी 9.84 इंच की ऊंचाई तक की स्पष्ट तस्वीरें ले सकता है.

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संभवतः अभी तक इतनी सटीकता वाला सैटेलाइट कैमरा किसी देश ने लॉन्च नहीं किया है. अमेरिका की निजी स्पेस कंपनी डिजिटल ग्लोब का जियोआई-1 सैटेलाइट 16.14 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीरें ले सकता है. वहीं, इसी कंपनी का वर्ल्डव्यू-2 उपग्रह 18.11 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीरें ले सकता है. इसे पृथ्वी से 450 किमी ऊपर की कक्षा में स्थापित किया जाएगा.

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जीसैटः सेनाओं के लिए सुरक्षित संचार की सेवा देता है

इसरो ने जीसैट सीरीज के अब तक 20 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ चुकी है. इनमें से 14 काम कर रही हैं. इन उपग्रहों का उपयोग टेलीफोन, टीवी संबंधी संचार के लिए होता है. साथ ही ये मौसम और आपदाओं का पूर्वानुमान भी लगाता है. इनकी मदद से वायु और नौसेना अपने विमानों और जहाजों का नेविगेशन करती है. साथ ही सेनाओं के लिए सुरक्षित संचार की सेवा प्रदान करता है.

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कार्टोसैट सीरीज के 8 सैटेलाइट अब तक किए गए हैं लॉन्च

कार्टोसैट सीरीज का पहला सैटेलाइट कार्टोसैट-1 पांच मई 2005 को पहली बार लॉन्च किया गया था. इसकी लाइफ 5 साल की थी. इसके बाद 10 जनवरी 2007 को कार्टोसैट-2 लॉन्च किया गया. इसके बाद, 28 अप्रैल 2008 को कार्टोसैट-2ए लॉन्च किया गया. 12 जुलाई 2010 को कार्टोसैट-2बी, 22 जून 2016 को कार्टोसैट-2 सीरीज सैटेलाइट, 15 फरवरी 2017 को कार्टोसैट-2 सीरीज सैटेलाइट, 23 जून 2017 को कार्टोसैट-2 सीरीज सैटेलाइट और 12 जनवरी 2018 को कार्टोसैट-2 सीरीज सैटेलाइट लॉन्च किए गए.

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