भारत के प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन ने आकषर्क कैरियर विकल्पों की ओर अधिक उन्मुख होने के कारण देश भर के विधि महाविद्यालयों में उत्साही युवा शिक्षकों की कमी पर चिंता जताई.
इस चुनौती से पार पाने की जरूरत पर बल देते हुए बालकृष्णन ने कहा कि उनमें से कुछ सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को शिक्षण के पेशे की ओर आकषिर्त करने की जरूरत है.
इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट के दूसरे दीक्षांत समारोह में प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज के विधि स्नातकों के समक्ष कैरियर के कई रास्ते हैं लेकिन हमें ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे उनमें से कुछ सर्वश्रेष्ठ को अध्यापन के पेशे में आकषिर्त किया जा सके.’’