उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश भविष्य निधि घोटाले में सीबीआई की गाजियाबाद स्थित विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी. इस घोटाले में न्यायिक अधिकारियों के नाम भी सामने आये हैं.
न्यायमूर्तियों डी के जैन, वी एस सिरपुरकर और जी एस सिंघवी की पीठ ने कहा ‘गाजियाबाद स्थित विशेष सीबीआई अदालत में चल रही कार्रवाई स्थगित रहेगी.’ न्यायालय ने यह व्यवस्था अटॉर्नी जनरल जी ई वाहनवती के यह कहने पर दी कि परेशान करने वाले कुछ ऐसे हालात हैं कि इस मामले को उत्तर प्रदेश से बाहर स्थानांतरित करना जरूरी है.
उन्होंने मामले की सुनवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी को तरजीह दी. वाहनवती ने कहा कि इस संबंध में एक अपील अदालत में लंबित है. पीठ ने कहा कि इस अपील पर विचार किया जाएगा लेकिन उसे आरोपियों की प्रतिक्रिया पर सुनवाई करनी होगी जिनमें जज भी शामिल हैं.
न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल से सभी आरोपियों के नाम और पते एक सप्ताह में बताने के लिए कहा ताकि मामले के स्थानांतरण की सीबीआई की अपील पर नोटिस जारी किए जा सकें. इस बीच, सीबीआई ने अदालत में एक नयी रिपोर्ट पेश की है जिसमें उसने कहा है कि घोटाले में कथित तौर पर लिप्त 41 में से 17 जजों के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं. बताया जाता है कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भविष्य निधि में हुए इस घोटाले में कथित तौर पर 20 करोड़ राशि की हेराफेरी हुई है.
एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि शेष 24 जजों के खिलाफ भी अभियोजन चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं. यह रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में पीठ के समक्ष पेश की गई. कार्यवाही के दौरान अटॉर्नी जनरल ने रिपोर्ट के कुछ अंश पढ़े.