उदयपुर के तीज मेले में पुरुषों की एंट्री पर बैन है, इस मेले में कोई लड़का आपको नहीं दिखेगा.
दरअसल राजस्थान के उदयपुर में लगा है सखियों का मेला और इस मेले में हिस्सा लेने, घूमने फिरने की इजाजत सिर्फ लड़कियों और औरतों को हैं. यहां कोई पुरुष दाखिल नहीं हो सकता और अगर कोई दाखिल हो भी जाता है तो उसकी शामत आ जाती है. यह मेला हरियाली अमावस्या के खास मौके पर लगता है. मेवाड़ में सैंकड़ों वर्षो से सावन महीनें में लगने वाला यह मेला उदयपुर के महाराणा फ़तेह सिंह की महारानी बख्तावर कुंवर की देन है.
हरियाली तीज के दिन ही शिव जी ने पार्वती को पत्नी के रुप में स्वीकार किया था और फिर धूमधाम से उनका विवाह हुआ था. यही वजह है कि सदियों से सुहागिनें हरियाली तीज पर पति की सलामती और खुशहाली और कुंआरी कन्याएं महादेव जैसा पति पाने के लिए व्रत और पूजा करती आ रही हैं. झूला झूलने के अलावा इस मौके पर मेंहदी लगवाने का भी रिवाज है.