गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने कहा कि राज्य में लौह अयस्क के अंधाधुंध खनन पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगाए गए रोक ने राज्य को पर्यावरण असंतुलन के खतरे से बचाया है.
पर्यावरणीय संतुलन है जरूरी
राज्य में शुक्रवार को एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान पारसेकर ने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए खनन जरूरी है, लेकिन साथ ही पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है.
मुख्यमंत्री ने कहा, 'यह समय आत्मनिरीक्षण करने और भविष्य की योजनाएं बनाने का है. करीब ढाई साल पहले सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप के लिए मजबूर होना पड़ा था, क्योंकि हम पर्यावरणीय संतुलन को समझे बिना अंधाधुंध खनन कर रहे थे.'
उन्होंने कहा, ' खनन गतिविधियां इतनी बढ़ गईं थीं कि मुझे नहीं पता अगर यह जारी रहती, तो अगले एक दशक में गोवा क्या होता.'
हुआ था अवैध खनन का खुलासा
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में गोवा में खनन पर तब रोक लगा दिया था, जब न्यायिक आयोग ने 35,000 करोड़ रुपये के अवैध खनन का खुलासा किया था, जिसमें गोवा की खनन कंपनियों, राजनेताओं और नौकरशाहों के बीच मिलीभगत की बात कही गई थी.
इधर, 2010-11 में गोवा से करीब 5.4 करोड़ टन लौह-अयस्क का निर्यात किया गया था, जिसका करीब 30 फीसदी हिस्सा अवैध खनन था.
तीन साल बाद होने जा रहा खनन
गोवा कभी भारत के लौह-अयस्क में करीब 21 फीसदी हिस्से का योगदान देता था.
गोवा में प्रतिबंध के तीन साल बाद राज्य सरकार खनन दोबारा शुरू करने को तैयार है, लेकिन पारसेकर ने कहा कि इसके लिए एहतियात बरतने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ' बेशक राज्य सरकार का प्रमुख होने के नाते, मैंने खनन पर विचार किया है. यह अर्थव्यवस्था में मदद करता है. हमें खनन के दौरान पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखने की जरूरत है.'
होगा नियंत्रित खनन
मुख्यमंत्री ने कहा, ' हमें प्रकृति का ख्याल रखने की जरूरत है. हमें खनन के मामले में बहुत ज्यादा लालची नहीं होना चाहिए. सरकार होने के नाते हम खनन फिर शुरू कर रहे हैं, लेकिन यह नियंत्रित खनन होगा. यह प्रकृति को ध्यान में रख कर किया जाएगा. हमें संतुलन को बरकरार रखना है.'
इनपुट- IANS