बांग्लादेश OBOR मुद्दे पर चीन का साथ छोड़ने नहीं जा रहा है. चीन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट वन बेल्ट वन रोड का भारत शुरू से विरोध कर रहा है. अमेरिका के ट्रंप सरकार ने भी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रोजेक्ट वन रोड वन बेल्ट पर भारत के विरोध का समर्थन किया है. हालांकि बांग्लादेश के विदेश सचिव शाहिदुल हक का कहना है कि बांग्लादेश भौगोलिक दृष्टि के हिसाब से काफी छोटा देश है, ऐसे में उसे संप्रभुता और आर्थिक एकीकरण में संतुलन बनाने की जरूरत है. यही वजह है कि उसे चीन के साथ रिश्ते बनाने से कोई हिचक नहीं है.
आपको बता दें कि बांग्लादेश का यह स्टैंड भारत के बिल्कुल विपरीत है. भारत ने OBOR का विरोध करते हुए कहा था कि यह भारत के क्षेत्रिय अखंडता का उल्लंघन करती है, क्योंकि OBOR का रास्ता पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है.
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में भाग लेने दिल्ली पहुंचे बांग्लादेश के विदेश सचिव शाहिदुल हक ने बांग्लादेश के आर्थिक सीमाओं का भी जिक्र किया और इस वजह से चीन के साथ संबंध बनाने पर जोर दिया. विदेश सचिव शाहिदुल हक ने कहा कि बांग्लादेश भौगोलिक दृष्टि से काफी छोटा देश है, हालांकि हमें अपनी इन सीमाओं से बाहर निकलने के लिए बाकी दुनिया से रिश्ता जोड़ना होगा. ऐसे में देश में सरकार कोई भी हो आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मसले पर सोच एक जैसी होती है.
विदेश सचिव शाहिदुल हक ने आगे कहा कि वर्तमान दौर में हम दूसरे देशों से जुड़े बिना नहीं रह सकते हैं. साथ ही हम संप्रभुता और एकीकरण को अलग नजरिये से देखते हैं. एशिया न्यू नॉर्मल चर्चा के दौरान बोलते हुए हक ने कहा कि कई बार आर्थिक मसलों की वजह से संप्रभुता जैसे मुद्दों को पीछे छोड़ना पड़ता है. ऐसे में देश प्रधानमंत्री शेख हसीना के फैसले के पीछे खड़ा है.
हक ने कहा कि हम OBOR प्लान का हिस्सा बनने से पहले लोगों और सिविल सोसायटीज से राय ले रहे हैं. उनके राय में भी यह बात सामने आ रही है कि बांग्लादेश को अभी सबसे ज्यादा जरूरत कनेक्टिविटी की है. हमें तकनीकी और इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन की जरूरत है और हमारे युवाओं को भी बेहतर क्नेक्टिविटी और इंटरेक्शन की जरूरत महसूस हो रही है.
हक ने कहा कि ऐसे में बांग्लादेश अपनी भौगोलिक राजनीति और आर्थिक रुझान को देखते हुए भारत और चीन में संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है. आज के दौर में आर्थिक मसले संप्रभुता के मसले पर तवज्जो दिए जाते हैं.
चीन का OBOR प्रोजेक्ट 4 ट्रिलियन डॉलर के करीब का है. इसमें 65 देशों को जोड़ने की बात कही गई है, जिसमें विश्व की 70 प्रतिशत आबादी शामिल है. पिछले साल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दौरे पर ही बांग्लादेश ने OBOR प्रोजेक्ट में शामिल होने की घोषणा कर दी थी.