बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार को वादा किया कि उनके देश का इस्तेमाल भारत के खिलाफ निर्देशित आतंकवादी गतिविधियों के लिये नहीं किया जायेगा. भारत और बांग्लादेश ने आतंकवाद, संगठित अपराध और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने में सहयोग के लिये तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और हसीना ने द्विपक्षीय संबंधों पर सविस्तार चर्चा की और इसमें ध्यान खास तौर पर आतंकवाद, सुरक्षा, कनेक्टिविटी, कारोबार और निवेश, सीमा से संबंधी मुद्दों और जल तथा उर्जा संसाधनों के आदान प्रदान पर केंद्रित किया गया. चर्चा के दौरान हसीना ने सिंह से कहा कि उनकी सरकार भारत के खिलाफ निर्देशित आतंकवाद के लिये बांग्लादेश का इस्तेमाल नहीं होने देगी. यह आश्वासन पूर्वोत्तर के विद्रोहियों के बांग्लादेश में पनाह लेने से जुड़ी भारत की प्रमुख चिंताओं को दूर करने के उद्देश्य से दिया गया.
हसीना के मीडिया सलाहकार अबुल कलाम आजाद ने कहा कि हसीना ने उनसे मुलाकात कर चुके सभी भारतीय नेताओं से कहा कि बांग्लादेश भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिये अपने क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं होने देगा. हसीना की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा सोमवार से शुरू हुई. उन्होंने सिंह से व्यापक मुद्दों पर चर्चा करने से पहले राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, विदेश मंत्री एस एम कृष्णा, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से मुलाकात की.
सिंह-हसीना के बीच वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये जो आपराधिक मामलों पर साझा कानूनी सहयोग, सजायाफ्ता कैदियों के स्थानांतरण तथा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, संगठित अपराध और नशीले पदार्थ की तस्करी से निपटने से संबंधित थे. आजाद ने संवाददाताओं से कहा कि बैठकों के दौरान बांग्लादेश की प्रधानमंत्री का यह मत था कि दोनों देशों में लोकतंत्र यह सुनिश्चित करायेगा कि आतंकवाद न बढ़े.
इससे पहले, हसीना ने कहा कि उनकी यात्रा का उद्देश्य यह देखना है कि दक्षिण एशिया शांति से परिपूर्ण और गरीबी से मुक्त क्षेत्र हो. राष्ट्रपति भवन में रस्मी अगवानी के बाद हसीना ने कहा कि क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या गरीबी है और उम्मीद जतायी कि उनकी यात्रा से दोनों देशों के बीच सहयोग के जरिये गरीबी उन्मूलन में मदद मिलेगी.