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मानव तस्करी की शिकार ये लड़कियां देख रही हैं घर की राह

बांग्लादेश से भारत के अंदर ह्यूमन ट्रैफिकिंग एक ऐसी समस्या है जिससे निपटना भारत सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. भारत बांग्लादेश बॉर्डर की कुल लंबाई 4096 किलोमीटर है, जिसका बड़ा हिस्सा ऐसा है जिस पर अभी तक फेंसिंग नहीं लग सकी.

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बांग्लादेशी लड़कियां केंद्र और राज्य सरकार से लगा रही हैं गुहार
बांग्लादेशी लड़कियां केंद्र और राज्य सरकार से लगा रही हैं गुहार

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बांग्लादेश से भारत के अंदर ह्यूमन ट्रैफिकिंग एक ऐसी समस्या है जिससे निपटना भारत सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. भारत बांग्लादेश बॉर्डर की कुल लंबाई 4096 किलोमीटर है, जिसका बड़ा हिस्सा ऐसा है जिस पर अभी तक फेंसिंग नहीं लग सकी. इस पोरस बॉर्डर के चलते हजारों की संख्या में महिलाओं की ट्रैफिकिंग होती है.

बांग्लादेश और भारत सरकार की तरफ से इस से निपटने के लिए बड़े कदम उठाए जा रहे हैं पर जो लोग ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शिकार होते हैं वह कानूनी पचड़े में पड़ने की वजह से बांग्लादेश वापस नहीं जा पाते.

जानकारी के मुताबिक जिन रूटों से बांग्लादेश से सबसे ज्यादा ह्यूमन ट्रैफिकिंग होती है उसमें सबसे मशहूर रूट है ढाका, बोरीसाल, जैसोर, सतखीरा और इन्ही बॉर्डर से भारत के अंदर लड़कियों का प्रवेश कराया जाता है.

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बीएसएफ की चौकसी से पकड़ी जाती हैं लड़कियां
वहीं दूसरा सबसे महत्वपूर्ण ह्यूमन ट्रैफिकिंग कराने का बांग्लादेश से जो रास्ता है वह है बोरीसाल, जैसोर, बेनपोल. यहां तक बांग्लादेश से बस के जरिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग कराने वाले लोग बांग्लादेश की लड़कियों को लाते हैं और उसके बाद बॉर्डर क्रास कराकर इनको भारत के अंदर लाया जाता है, जहां बीएसएफ की चौकसी के चलते यह लड़कियां और महिलाएं पकड़ी जाती हैं.

शेल्टर होम में रखी जाती है लड़कियां लेकिन...
उसके बाद इनको शेल्टर होम में भले ही रखा जाता हो पर कई सालों तक इनका अपने परिवार से संपर्क नहीं हो पाता है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ऐसे ही 3 और रूट हैं, जहां से बांग्लादेश की लड़कियों को भारत के अंदर भेज दिया जाता है. हालांकि चौकसी होने के चलते इन लड़कियों को रास्ते में ही रेस्क्यू कर लिया जाता है.

आसानी से क्रॉस कराया जाता है बॉर्डर
आज तक की टीम कोलकाता के उस शेल्टर होम में जा पहुंची है जिसमें पिछले कुछ सालों से बांग्लादेश सीमा से रेस्क्यू की गई लड़कियां मौजूद है इन लड़कियों को अपने घर जाना है पर ऐसी कानूनी प्रक्रियाएं हैं जिसके चलते इनको घर जाने में दिक्कत बड़े स्तर पर आ रही कोलकाता के सेल्टर होम जिसमे ये लड़कियां रखी गई हैं यहाँ सीमा नाम की एक 16 साल की ऐसी लड़की है. जिसको की उसके रिश्तेदारों ने पश्चिम बंगाल पब के अंदर गाना गाने के लिए भारत के अंदर बॉर्डर क्रास करके इसको लाया गया, यह लड़की जिस सुर में गाना गाती है उसी सुर में वह भारत सरकार से यह भी गुहार लगा रही है कि उसको जल्द-से-जल्द उसके मां-बाप के पास भेजा जाए.

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एक कहानी पिंकी की
वहीं बांग्लादेश से ही आई दूसरी एक ऐसी लड़की पिंकी है जो घर जाने के नाम पर फफक-फफक कर रो रही है. बांग्लादेश से भारत में काम और पैसे देने के चलते भारत के अंदर इनको ट्रैफिकिंग करने वाले लोग छोड़ देते हैं. 8 महीने पहले पिंकी नाम की लड़की यहां जब से पकड़ी गई हैं तब से अभी तक वह कोलकाता के एक शेल्टर होम में है. उसकी बात कुछ दिन पहले उसकी मां से हुई तब उसको पता चला कि उसकी मां की तबीयत काफी खराब है. अब पिंकी अपनी मां मिलना चाहती है.

कानूनी प्रक्रिया में फंस जाती हैं लड़कियां
एनजीओ और शेल्टर होम के लोगों का यह कहना है कि क्योंकि इनको देश के अलग-अलग जगहों से रेस्क्यू करके इनके शेल्टर होम में जांच एजेंसियां भेज दिया जाता है लेकिन ऐसे में राज्य सरकार की जो पुलिस है उसकी कानूनी प्रक्रिया के चलते इतने दिनों तक इन लड़कियों को यहां रहना पड़ जाता है. यह चाहते हैं कि जल्द से जल्द कोई ऐसी कानूनी प्रक्रिया हो जिससे कि वो अपने देश बांग्लादेश जा सकें और अपने परिवार से मिल सकें.

जांच में जुटी पुलिस
वही जानकारी ये है कि पश्चिम बंगाल पुलिस बीएसएफ के साथ मिलकर लड़कियों के बेचने वाले दलालों की तलाश में जुट गई है. सीमावर्ती राजस्थान और हरियाणा के गांवों में ताबड़तोड़ दबिश के बाद टीम को काफी सुराग मिले हैं. इस मामले से जुड़े लोगों को चिह्नित किया जा रहा है. जल्द ही कई गिरफ्तारियां होंगी.

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