केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की टीम ने 20 साल से मृत घोषित बैंक धोखाधड़ी करने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. सीबीआई ने 1 मई 2002 को एसबीआई हैदराबाद से 50 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में चलपति राव के खिलाफ मामला दर्ज किया था. लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी. वहीं,चलपति राव 2004 में लापता हो गया था. जिसके बाद उसकी पत्नी ने उसके लापता होने के सात साल बाद मृत घोषित करने के लिए सिविल कोर्ट में याचिका दायर की. जिसके बाद 2013 में चलपथ राव को मृत घोषित कर दिया गया.
नाम बदलकर रिकवरी एजेंट के तौर पर किया काम
सीबीआई की टीम ने उसके मृत घोषित होने के बाद भी केस को बंद नहीं किया और मामले की करीब से जांच कर रही थी. चलपति राव ने पैसे की हेराफेरी करने के लिए अपने परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों के नाम पर इलेक्ट्रॉनिक दुकानों के फर्जी कोटेशन व फर्जी वेतन प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया था.
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कुछ दिनों की जांच में सीबीआई ने पाया कि चलपतिराव भाग गया और अपना नाम बदलकर विनीत कुमार रख लिया. इसके बाद उसने 2007 में शादी कर ली और तमिलनाडु के सलेम में रहने लगा. यहां तक कि उसने अपना आधार कार्ड भी बनवा लिया. इसके बाद वह फिर भोपाल चला गया. यहां लोन रिकवरी एजेंट के तौर पर काम किया. उसके बाद उत्तराखंड के रुद्रपुर में रहने लगा.
वहीं, सीबीआई की टीम जब उसे 2016 में पकड़ने गई तो वहां से भी भाग गया.जिसके बाद सीबीआई ने उसके आधार और ईमेल आईडी व जीमेल को निकालकर ईडी से मदद ली.जिसके बाद ईडी ने पता लगाया कि चलपति राव औरंगाबाद के वेरुल गांव में एक आश्रम में स्वामी विधितात्मानंद तीर्थ के नाम से रह रहा है. उसके पास इस नाम से आधार कार्ड भी है.
तमिलनाडु से श्रीलंका भागने की फिराक में था
सीबीआई ने यह भी दावा किया कि आरोपी ने आश्रम से 70 लाख रुपये की ठगी की और 2021 में 8 जुलाई 2024 तक राजस्थान के भरतपुर भाग गया.वहां से वह श्रीलंका भागने की योजना बना रहा था. जिसके बाद उसे तिरुनेलवेली के नरसिंगनल्लूर गांव से गिरफ्तार कर लिया गया. फिलहाल 16 अगस्त तक उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.