भारतीय रिजर्व बैंक ने मंहगाई पर ब्याज दर का शिकंजा कसते हुए अपनी अल्प कालिक ब्याज दरों में 0.25 से 0.50 प्रतिशत की बढोतरी कर दी है जिससे बैंकों का पैसा मंहगा हो जाएगा और वे आने वाले दिनों में मकान, दुकान और कार के लिए कर्ज पर ब्याज बढा सकते हैं.
केंद्रीय बैंक की ओर से उठाए गए कदमों में बैंकों के लिए यह संकेत भी छुपा है कि वे छोटे जमाकर्ताओं की मियादी जमा पर ब्याज बढायें ताकि उच्च मुद्रास्फीति के कारण जमाकर्ताओं के
वास्तविक ब्याज के नुकसान की भरपाई हो सके.
रिजर्व बैंक ने पहली बार शुरू हुई अपनी त्रिपाक्षिक नीतिगत समीक्षा में बैंकों को दी जाने वाली अल्पकालिक नकदी :रेपो: की वाषिर्क दर को 0.25 प्रतिशत अंक बढा कर 6 प्रतिशत
और बैंकों से ली जाने वाली अल्पकालिक नकदी (रिवर्स रेपो) की दर 0.50 प्रतिशत अंक बढा कर पांच प्रतिशत कर दी.
इस कदम का उद्देश्य ऋण मंहगा कर बाजार में सामान्य मांग को कसना है ताकि लगातार चिंता का विषय बनी उच्च मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाया जा सके. उल्लेखनीय है कि थोक मूल्य
सूचकांक की नयी श्रृंखला के अनुसार अगस्त में मुद्रा स्फीति 8.51 प्रतिशत पर बनी हुई थी जबकि चार सिंतबर को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 15.10 प्रतिशत रही.
केंद्रीय बैंक ने आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर), बैंक दर और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की न्यूनतम सीमा (एसएलआर) में कोई बदलाव नहीं किया है.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा ‘रिजर्व बैंक ने सही दिशा में कदम उठाया है क्यों कि मुद्रास्फीति का दबाव अभी बना हुआ है.’ लेकिन उद्योग जगत ने कहा कि रिण महंगा होने से
औद्योगिक परियोजनों पर निवेश प्रभावित हो सकता है और बहुत सी परियोजनाएं अव्यावहारिक हो सकती हैं.
{mospagebreak}बैंकों ने कहा है कि रिजर्व बैंक के इस कदम से कर्ज पर ब्याज दरें बढानी पड़ सकती हैं. उनका कहना है कि छोटी अवधि की मियादी जमाओं पर भी ब्याज बढ सकती है.
इन कदमों पर प्रतिक्रिया देते हुए बैंक आफ महाराष्ट्र के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एलेन परेरा ने कहा,‘ ब्याज दरें बढ सकती हैं. निकट भविष्य में ब्याज दरें बढाने का दबाव है.’ सेंट्रल बैंक
के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एस श्रीधर ने कहा, ‘बैंक पूरी तरह सोच समझ कर कोई कदम उठाएंगे. ब्याज दरों की समक्षी करनी जरूरी हो गयी है क्यों कि पैसा मंहगा हो गया है.’
कुछ बैंकों ने कहा कि फिलहाल पहली अक्टूबर से ब्याज दरें बढाने की संभावना कम है. बैंक आरबीआई के आगे के कदमों को देखना चाहेंगे. एचडीएफसी के मुख्य कार्यकारी केकी मिस्त्री ने
कहा, ‘मासिक किस्त पहली अक्टूबर से नहीं बढने जा रही है. रिजर्व बैंक की अल्पकालिक दरों में चौथाई प्रतिशत तक की बढोतरी होने का अनुमान पहले से लगाया जा रहा था. बैंकों का
निर्णय अगली नीतिगत समीक्षा पर निर्भर करेगा.’
उद्योगमंडल फिक्की के महासचिव डा अमित मित्रा ने कहा, ‘रेपो दर में वृद्धि बैंकों का कर्ज महंगा करने का एक और संकेत है. हम आशा करते हैं कि यह इस तरह का आखिरी संकेत होगा. यह आर्थिक वृद्धि को बाधित करने वाली कार्रवाई है. हम उम्मीद करते हैं कि अगली समीक्षा में इस अंकुशकारी नीति में ढील दी जाएगी.’