सरकार ने बैंकों और डाकघरों को चलन से बाहर किए गए 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को 20 जुलाई तक भारतीय रिजर्व बैंक में जमा कराने की अनुमति दे दी है. यह दूसरा मौका है जब केंद्र सरकार ने बैंकों, डाकघरों और सहकारी बैंकों को बेकार हो चुके नोटों को रिजर्व बैंक में जमा कराने का समय दिया है.
गौरतलब है कि जनता के लिए नोटबंदी के बाद बैंकों में 1000 और 500 के पुराने नोट जमा करने का आखिरी मौका 31 दिसंबर तक था. 1 जनवरी से 31 मार्च तक पुराने नोट सिर्फ रिजर्व बैंक के काउंटरों पर हलफनामे के साथ जमा हुए.
सरकार ने कालाधन पर अंकुश लगाने तथा फर्जी नोटों पर पाबंदी लगाने के मकसद से पिछले साल आठ नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपये के नोटों पर पाबंदी लगाने की घोषणा की थी. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल में कहा था कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण की दिशा में बड़े और ठोस कदम जैसे दीर्घकालिक लाभ मिलेंगे. उन्होंने कहा कि नोटबंदी का मकसद काले धन और भ्रष्टाचार को रोकना था जो की काफी हद तक सफल रहा. इससे सरहद पार से आने वाला जाली नोट भी बंद हो गए. आतंकवाद को मिलने वाला फंड भी बंद हो गया है जो की उनके लाइफ लाइन पर चोट पहुचाता है.