नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक में जैसा घोटाला किया ऐसे घोटालों के लिए अब बैंक के कर्मचारियों और अफसरों के अलावा ऑडिटर्स की भी गर्दन नपेगी. पीएनबी और उसके बाद जिस तरह से एक के बाद एक बैंक घोटाले सामने आ रहे हैं और यह पता चल रहा है कि सालों साल तक ये घोटाले बैंकों की फाइलों में चुपचाप दबे रहे उसे देखते हुए सरकार अब ऑडिटर के लिए नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NAFRA) का गठन करने जा रही है.
उम्मीद की जा रही है कि गुरुवार शाम 4:00 बजे होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मंजूरी की मुहर लग जाएगी. यह दो दिन में लगातार दूसरी बार कैबिनेट की बैठक होगी. बुधवार को भी कैबिनेट की बैठक हुई थी लेकिन उसमें यह मामला नहीं आ पाया था.
गौरतलब है कि पहले चार्टर्ड अकाउंटेंट के कार्यक्रम में पीएम मोदी ने वित्तिय गड़बड़ियों को रोकने को लेकर चेताया था.
ऑडिटर्स के लिए रेगुलेटरी बॉडी बनाने के लिए सरकार को कोई कानून लाने की जरूरत नहीं है. दरअसल 2013 के कंपनीज एक्ट में ही इस बात का प्रावधान है कि ऑडिटर्स के लिए NAFRA का गठन किया जाए. लेकिन चार्टर्ड अकाउंटेंट लगातार इस बात का दबाव बनाते रहे कि सरकार कंपनी एक्ट के इस प्रावधान का इस्तेमाल नहीं करे और यह मामला लंबे समय से टलता रहा. साल 2014 में कंपनीज एक्ट की बाकी तमाम चीजें तो लागू हो गईं लेकिन ऑडिटर्स के लिए रेगुलेटरी बॉडी बनाने का प्रस्ताव तब से लागू नहीं हुआ.
लेकिन एक के बाद एक घोटालों और उसमें ऑडिटर्स की संदिग्ध भूमिका के बाद अब सरकार ने यह कड़ा कदम उठाने का फैसला कर लिया है. नीरव मोदी के मामले में पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले के लिए PNB के ऑडिटर को सीबीआई गिरफ्तार कर चुकी है.
सरकार ऑडिटर्स के लिए नियमों को सख्त करने जा रही है. इसका अंदाजा पिछले हफ्ते ही हो गया था जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैंक घोटालों के बारे में बोलते हुए कार्यक्रम में कहा था कि घोटालों के लिए राजनेताओं को तो आरोप सहने पड़ते हैं लेकिन रेगुलेटर पर उंगली नहीं उठती. उन्होंने कहा था कि यह हैरत की बात है कि बैंक के ऑडिटर कैसे इस तरह के घोटालों को पकड़ने में चूक गए.
एक के बाद एक बैंक घोटाले सामने आने के बाद सरकार ने बैंकों से यह भी कहा है कि 50 करोड़ रुपए से ऊपर की जो भी एनपीए है उसको तत्काल सामने लाया जाए.