लंबे समय से अटके बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक को 2012 के अंत में संसद मंजूरी के साथ नए साल में बैंकिंग क्षेत्र में नई कंपनियों के प्रवेश का रास्ता करीब-करीब खुल गया है. साथ ही इससे 2013 में बैंकिंग क्षेत्र में विलय एवं अधिग्रहण की कुछ घटनाएं भी देखने को मिल सकती है.
साल 2012 के दौरान आर्थिक नरमी से भारतीय बैंकिंग क्षेत्र का मुनाफा प्रभावित हुआ और ऋण की किश्त वसूली न होने की समस्या भी बढ़ी.
मार्च-सितंबर, 2012 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) यानी समय से वसूल नहीं हो रही राशि 1.12 लाख करोड़ रुपये से बढ कर 1.43 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गयी थी.
चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों में बैंकों ने कंपनियों पर वसूली में फंसे बकाया ऋणों को सस्ते ऋण से बदलने (पुनर्गठित करने) के 74 मामलों की सूचना दी. इनमें कुल 40,000 करोड़ रुपये की राशि की वसूली जुड़ी हुई थी. इस दौरान कम से कम 35 बैंकों के सकल एनपीए में 2011-12 के स्तर की तुलना में इजाफा हुआ है.
संशोधित बैंकिंग कानून के तहत कंपनियों को भी बैंकिंग क्षेत्र में उतरने की अनुमति मिल गई है. इस विधेयक की अन्य खास बातों में मतदान के अधिकार पर रोक की सीमा में बढ़ोतरी, रिजर्व बैंक का सूचना जुटाने के लिए सशक्तीकरण और बैंकिंग कंपनियों की सहायक इकाइयों के खातों का निरीक्षण शामिल है.
इस विधेयक के जरिए रिजर्व बैंक को बैंकिंग कंपनी के निदेशक मंडल को दरकिनार करने और वैकल्पिक व्यवस्था होने तक प्रशासक की नियुक्ति का अधिकार दिया गया है.
राज्यसभा में विधेयक पारित होने के बाद वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने रिजर्व बैंक से नए बैंकिंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया तेज करने को कहा है. रिजर्व बैंक पहले ही नए बैंक लाइसेंस जारी करने के बारे में दिशानिर्देशों का मसौदा जारी कर चुका है. पिछले दो दशक में रिजर्व बैंक ने निजी क्षेत्र में दो चरणों में 12 बैंक लाइसेंस दिए हैं. इनमें से 10 लाइसेंस 1993 में जारी किए गए और दो बाद में.
देश में 26 सरकारी और 22 निजी क्षेत्र के बैंक काम कर रहे हैं. पंजाब नेशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक आदि में सकल एनपीए में तो 60 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है. वहीं चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में साउथ इंडियन बैंक की एनपीए 86 फीसद तक बढ़ी हैं.
कुछ अन्य बैंकों मसलन बैंक आफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और कारपोरेशन बैंक के एनपीए में इस अवधि में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. कुल मिलाकर इन 35 बैंकों की एनपीए में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 28 प्रतिशत या 32,000 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ और 30 सितंबर, 2012 तक कुल एनपीए 1.47 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पूंजी आधार मजबूत करने के लिए सरकार ने विभिन्न बैंकों में 12,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली है. इसमें से सबसे ज्यादा 7,900 करोड़ रुपये की पूंजी देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक को मिली है.