25 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत के दौरे पर आ रहे हैं. लेकिन उससे पहले उन्होंने इंडिया टुडे को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है. ओबामा ने कहा है कि 26 जनवरी का अतिथि बनकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं. वह भारत और अमेरिका को नेचुरल पार्टनर के तौर पर देखते हैं. इसके अलावा ओबामा ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता देने की भी वकालत की. मोदी और ओबामा मिलकर करेंगे 'मन की बात'
1. मोदी-ओबामा कैमिस्ट्री
सवाल- आप मोदी के बारे में क्या सोचते हैं?
जवाब-भारत को कौन सी बड़ी चीजें हासिल करनी है इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन एकदम साफ है. मैं उनकी ऊर्जा से खास प्रभावित हूं. मै इस बात से भी प्रभावित हूं कि वो विकास के रास्ते में रोड़े अटकाने वाले मुद्दों को फौरन दूर करने के लिए तैयार हैं.
2. भारत-अमेरिका नेचुरल पार्टनर
सवाल- क्या दोनों देश बीते वक्त की भरपाई कर रहे हैं?
जवाब- मुझे इस बात का पूरा भरोसा है कि भारत और अमेरिका के रिश्ते 21वीं सदी के लिए नजीर बन सकते हैं. हम नेचुरल पार्टनर हैं. हम दो लोकतंत्र हैं, दो उद्ममी समाज हैं. हम दोनों आविष्कार, विज्ञान और तकनीक की दुनिया में अगुवा हैं. भारत सामरिक रूप से अहम जगह पर स्थित है, जिसे देखते हुए हम एशिया-पैसिफिक में अपनी साझा सुरक्षा और समृद्धि को आगे बढ़ा सकते हैं.
3. अमेरिका कंपनियां और भारत का मूलभूत ढांचा
सवाल- भारत-अमेरिकी रिश्ते में बेहतरी के लिए क्या जरूरी?
जवाब- अमेरिका की कंपनियां भारत में आधारभूत ढांचे को बेहतर करने के लिए तैयार हैं जिससे भारत के विकास की रफ्तार तेज होगी. हम साफ हवा, पेयजल और ज्यादा बिजली को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की कोशिशों में मदद कर सकते हैं.
4. गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि
सवाल- क्या रिश्तों की मजबूती में गंभीरता जरूरी है?
जवाब- मैंने भारत की संसद में जो विजन रखे थे, मुझे लगता है, कि उसे अमली जामा पहनाने का वक्त आ गया है. भारत और अमेरिका सच्चे मायने में ग्लोबल पार्टनर हैं. शायद यही वजह है कि मैंने गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनने का न्योता स्वीकार किया. मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं. मुझे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और भारत के लोगों के साथ समारोह मे शामिल होने का बेसब्री से इंतजार है.
5. भारत, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र
सवाल- कई बड़े मुद्दों पर अमेरिका क्या सोचता है?
जवाब- मैंने जी20 की भूमिका को बड़ा किए जाने पर जोर दिया ताकि भारत समेत दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की आवाज सुनी जा सके. और यही वजह है कि मुझे लगता है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नए कलेवर में भारत स्थाई सदस्य के तौर पर शामिल हो.
आप इंडिया टुडे के ताजा अंक में पूरा इंटरव्यू पढ़ सकते हैं.