भारतीय रेलवे के प्लेटफॉर्म टिकटों के दाम 5 से 10 रुपये बढ़ने के बाद से रेलवे प्रशासन की उलझने अब ज्यादा बढ़ गई हैं. एक अप्रैल से यह बढ़ोतरी आय के लिए नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए की गई थी कि इससे प्लेटफॉर्म पर भीड़ कम होगी. लेकिन स्थिति अब यह कि प्लेटफॉर्म टिकट के दाम नजदीकी रेलवे स्टेशन के टिकट के दाम से अधिक हो गया है और यात्री प्लेटफॉर्म टिकट की जगह इन नजदीकी स्टेशनों के टिकट कटा रहे हैं. यही अब रेलवे अधिकारियों की परेशानी का सबब बन गया है.
अब रेलवे स्टेशन पर अपने सगे संबंधियों को छोड़ने आने वाले लोग प्लेटफॉर्म टिकट की जगह लोकल टिकट ले रहे हैं जो उन्हें सस्ता पड़ रहा है. गौरतलब है कि पैसेंजर ट्रेन में सलेम जंक्शन से सलेम टाउन का टिकट केवल पांच रुपये का है. इतना ही नहीं यह प्लेटफॉर्म टिकट की तुलना में पूरे दिन के लिए वैध होता है. प्लेटफॉर्म टिकट केवल 2 घंटे के लिए मान्य होता है.
यानी प्लेटफॉर्म टिकट की कीमत में इजाफा होने के बाद यात्री अब पैसेंजर ट्रेन टिकट का दुरुपयोग कर रहे हैं. लेकिन अब रेलवे ने भी इस दुरुपयोग पर नजर रखने का एक उपाय ढूंढ लिया है.
अब रेलवे नजदीकी रेलवे स्टेशन के लिए पैसेंजर ट्रेन की टिकटें उन ट्रेनों के चलने के समय के कुछ देर पहले ही दिया करेगी. जब किसी पैसेंजर ट्रेन का समय नहीं होगा तब ऐसी टिकटें नहीं दी जाएंगी. इसके अलावा प्लेटफॉर्म पर चेकिंग अधिकारी को भी निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया गया है.
ये अधिकारी उन पैसेंजर टिकट धारकों का चालान काट सकते हैं जो पैसेंजर ट्रेन के आगमन और प्रस्थान वाले स्टेशनों के अलावा अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर घूमते पकड़े गए हों. बेटिकट यात्री के नियम के तहत इनका चालान काटा जाएगा.