शेवंती के खूबसूरत फूलों के बिना बाग-बगीचों की कल्पना नहीं की जा सकती. हरी पत्तियों के बीच से झांकते शेवंती के छोटे-छोटे खूबसूरत फूलों को देखकर लगता है मानो हरी चादर पर कुदरत ने सितारे जड़ रखे हैं.
शायद इन फूलों की सुंदरता के कारण ही अमेरिका में 17 जुलाई को ‘‘क्राइसेन्थमम डे’’ मनाया जाता है. इस दिन की शुरुआत कब से हुई, इसके बारे में कोई विवरण नहीं मिलता लेकिन इस दिन लोग वहां शेवंती के फूल एक दूसरे को भेंट करते हैं.
क्राइसेन्थमम यानी शेवंती शीत ऋतु में बाग बगीचों का खास आकषर्ण होती है. भारत में सफेद, गुलाबी, पीली शेवंती मुख्य रूप से पाई जाती है. शेवंती के फूल में छोटे छोटे पीटल्स यानी पंखुड़ियों की संख्या हजारों में होती है. इसके पौधे की उंचाई दो फुट से अधिक नहीं होती. हरी पत्तियों के बीच खिली शेवंती का अलग ही आकषर्ण होता है.
शेवंती के फूल सजावट के लिए बेहद उपयोगी होते हैं. फूलों का व्यवसाय करने वाले विजय मैनी कहते हैं, ‘‘ठंड के मौसम में वैसे भी शेवंती की बहार रहती है, इसलिए उन दिनों में हम फूलों के बुके और गुलदस्तों में शेवंती के फूल जरूर रखते हैं. इसके अलावा शेवंती के हार भी खूब बिकते हैं.’’{mospagebreak}विजय बताते हैं, ‘‘सजावट के काम में भी हम शेवंती को प्राथमिकता देते हैं. इसका सबसे कारण यह है कि शेवंती के फूल जल्दी खराब नहीं होते जबकि गुलाब के फूल नर्म पड़ जाते हैं.’’
एक अन्य फूल व्यवसायी जया कुरचू बताती हैं ‘‘हमारी नर्सरी में हम पूरे जाड़े भर शेवंती ही उगाते हैं. इसके लिए तैयारी शुरू हो चुकी है. इस पौधे को विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है. लेकिन जब फूल खिलते हैं तो लगता है कि मेहनत सफल हो गई.’’
वह बताती हैं ‘‘त्यौहारों पर आजकल घरों में और अन्य स्थानों पर फूलों से सजावट का चलन है. हमें शेवंती के फूलों से सजाने में आसानी होती है क्योंकि ये फूल जल्दी खराब नहीं होते. विदेशों से भी शेवंती का आयात होता है.’’ क्राइसेन्थमम को अलग अलग देशों में अलग अलग नाम से जाना जाता है. भारत में यह शेवंती, चीन में टोंग हाओ, जापान में शुंगिकू या किकुना तथा कोरिया में सुक्गात कहलाती है.
खूबसूरत फूलों वाली यह शेवंती कुछ देशों में अलग अलग तरीके से खाने के काम भी आती है. कोरियाई लोग इससे सूप बनाते हैं. हांगकांग तथा जापान में इससे व्यंजन बनाए जाते हैं. ताइवान में इसकी पत्तियों से औषधि बनाई जाती है.