‘रंग दे तू मोहे गेरुआ’, शाहरुख खान का यह हिट गाना पश्चिम बंगाल की राजनीति का हकीकत में फ्लेवर बन गया लगता है. रियल लाइफ की बात की जाए तो अप्रैल-मई में तय पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी का भगवा पुश पार्टीजनों को वाकई में भगवा चोले में ढालता जा रहा है.
बिष्णुपुर में सोमवार को बीजेपी सांसद सौमित्र खान ने प्रार्थना सभा का आयोजन किया. पंडितों की ओर से किए गए इस अनुष्ठान के दौरान खान ने सिर के बालों का "मुंडन" कराया.
सौमित्र खान ने ये पूरा अनुष्ठान भगवा कुर्ता और गमछा पहन कर किया. यहीं नहीं, उन्होंने साथ ही ऐलान किया कि अगले एक साल तक वे सिर्फ भगवा कपड़े पहनेंगे- ‘जब तक कि पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार मतदान के बाद सत्ता से बाहर नहीं हो जाती.’
खान ने समारोह में भगवा छाए रहने की तस्वारें भी ट्विटर और फेसबुक पर अपलोड कीं.
मुंडन समारोह में हिस्सा लेते सौमित्र
खान सिर्फ भगवा तक ही खुद को सीमित नहीं रख रहे. उन्होंने राज्य भर में भगवान शिव के त्रिशूल 90,000 लोगों को बांटने का इरादा भी जताया है. खान के मुताबिक, वो ऐसा इसलिए कर रहे हैं जिससे टीएमसी में रहने के दौरान उनके किए गए पापों का प्रायश्चित किया जा सके.
खान ने कहा, “टीएमसी जो पाप कर रही थी और हम उसके साथ थे, उसका प्रायश्चित कर रहे हैं. ऐसे मुंडन कराके और और गेरुआ कपड़ों में रहेंगे. टीएमसी के कार्यकर्ता बीजेपी वालों को मार रहे हैं. इसलिए पहले चरण में आत्मरक्षा के लिए भगवान शिव के त्रिशूल घर घर बांटेंगे.”
सौमित्र खान बंगाल के कोई साधारण सांसद नहीं हैं. उन्हें राज्य का परफेक्ट "आयाराम गयाराम" कहा जा सकता है. बांकुड़ा से ताल्लुक रखने वाले इस नेता के साथ विवादों का पुराना साथ रहा है. वो 2011 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए. मोदी लहर के उफान पर 2014 में, उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस का रुख किया और बिष्णुपुर सीट से सांसद निर्वाचित हुए. सांसद के तौर पर उनका वो कार्यकाल जब खत्म होने में थोड़ा ही वक्त था तो राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने उन्हें बीजेपी के खेमे में पहुंचा दिया. इसके लिए उन्होंने अपने एक वफादार को राज्य पुलिस की ओर से अवैध हथियारों का धंधा करने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने का मामला जोरशोर से उठाया.
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बीजेपी को बंगाल में हिंदी लगाव से दूर रहना चाहिए?
दिलचस्प बात यह है कि बंगाल बीजेपी में भी खान की इन गतिविधियों पर चर्चा हो रही है. कई पार्टी इनसाइडर्स का मानना है कि खान ये सब कर हिंदुत्व में अपने पक्के विश्वास को साबित करना चाहते हैं. कुछ वरिष्ठ बीजेपी नेताओं को लगता है कि बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के लिए दावेदारों में दौड़ शुरू हो गई है. एक स्पष्ट नाम की अनुपस्थिति में पार्टी की राज्य इकाई में कई लोग इस पद की चाहत में ताल ठोक रहे हैं. हालांकि आजतक/इंडिया टुडे से बातचीत में खान ने इस बात से इनकार किया कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं.
2016 में बीजेपी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार से आने वाले चंद्र कुमार बोस का नाम ममता बनर्जी के मुकाबले मुख्यमंत्री के लिए पार्टी उम्मीदवार के नाते बढ़ाया. बोस जनवरी 2016 में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुए.
बीजेपी के इनसाइडर्स मानते हैं कि ममता बनर्जी को सीएम की गद्दी से हटाने के लिए ‘भूमि-पुत्र’ की जरूरत है. साथ ही मतदाताओं के तीव्र ध्रुवीकरण के लिए पार्टी को अपने ‘हिंदी लगाव’ से दूर रहना चाहिए.
बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में राज्य की 42 सीटों में से 18 सीटें जीतकर सभी को हैरान किया. बीजेपी की कोशिश रहेगी कि 2021 विधानसभा चुनाव को 'पीएम नरेंद्र मोदी बनाम सीएम ममता बनर्जी' बनाया जाए. बीजेपी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दिलीप घोष भी मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर एक दावेदार हैं. बीजेपी दक्षिणपंथी या भगवा मुद्दों को बंगाल की राजनीति के केंद्र में रखना चाहती है. कभी आरएसएस एक्टिविस्ट रहे घोष भी खुद को हिंदुत्व चैंपियन दिखाने के लिए यदा कदा कोशिश करते रहते हैं.
उन्होंने कोरोनावायरस से लड़ने के लिए गोमूत्र पीने की सलाह दी. दुर्गापुर में ‘चाय पर चर्चा’ आयोजन में घोष ने कहा, 'अगर मैं गायों की बात करूं तो लोग बीमार पड़ जाते हैं. मैं उन्हें बताता हूं कि एक गधा गाय की अहमियत नहीं समझ सकता. ये भारत है. भगवान कृष्ण की भूमि है, यहां गायों को पूजा जाता है. स्वस्थ रहने के लिए हमारे पास गोमूत्र होगा. आयुर्वेदिक दवा लें और चिंता न करें.'
दिलचस्प बात यह है कि बंगाल में बीजेपी के अन्य सीएम दावेदारों में राज्यसभा सदस्य स्वपन दासगुप्ता और मेघालय के राज्यपाल का पद अब तक संभालते रहे तथागत रॉय हैं. राज्यपाल का पद संवैधानिक पद होता है, इसे अराजनीतिक माना जाता है. मंगलवार को राष्ट्रपति भवन के मुताबिक सतपाल मलिक को मेघालय का नया राज्यपाल बनाया गया है.
तथागत रॉय का कार्यकाल बढ़ाया गया
तथागत रॉय ने राज्यपाल पद पर रहते हुए ही एक हफ्ते पहले ही बयान दिया था- "अगर मेरी पार्टी तय करती है कि मैं एक फिट उम्मीदवार हूं, तो मैं इस पर विचार करूंगा." रॉय जो सक्रिय राजनीति में वापस आने के इच्छुक लगते हैं, उन्होंने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष पहले ही यह जता दिया है. 20 मई को उनका राज्यपाल के तौर पर कार्यकाल खत्म होना था लेकिन कोविड-19 महामारी की वजह से उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था.
तथागत रॉय और दिलीप घोष के बीच सक्रिय प्रतिद्वंद्विता है. रॉय अतीत में पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं. उन्होंने घोष की गोमूत्र संबंधी टिप्पणी को लेकर तीखा प्रहार करते हुए कहा था- “बकवास, बंगाल की जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी. हम उस अर्थ में गाय की पूजा नहीं करते हैं जैसे उत्तर भारत में की जाती है. हमें अपनी बंगाली संस्कृति के संदर्भ में बात करनी होगी, हम बंगाली लोगों से अपील करते हैं कि वे तर्क देखें न कि उनका गाय को लेकर प्रेम.”
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