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आखिर कब-कब डॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों की अटकी सांसें, एक रिपोर्ट

डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखकर डॉक्टरों की हड़ताल के मौजूदा गतिरोध को व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप कर सुलझाने को कहा है.

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एक बार फिर से हड़ताल पर डॉक्टर्स (फोटो-एएनआई)
एक बार फिर से हड़ताल पर डॉक्टर्स (फोटो-एएनआई)

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पश्चिम बंगाल में एक डॉक्टर के साथ परिजनों की मारपीट की घटना के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया और राजधानी दिल्ली समेत देश के कई शहरों में डॉक्टर हड़ताल पर चले गए. मेडिकल सेवाओं से जुड़ें डॉक्टर एक ऐसी आपातकालीन सेवा से जुड़े होते हैं जिनके 5 मिनट की अनुपस्थिति किसी मरीज की जान पर भारी पड़ सकती है.

ऐसे में देशभर के कई अस्पतालों में डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के बाद अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है. पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल खत्म करवाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शीर्ष डॉक्टरों के पैनल से कोलकाता में मुलाकात की तो डॉक्टरों का एक समूह शुक्रवार स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से मिला, तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखेगा. इस बीच केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखकर डॉक्टरों की हड़ताल के मौजूदा गतिरोध को व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप कर सुलझाने को कहा है.

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ऐसा पहली बार नहीं है जब देश के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए और सैकड़ों मरीजों की जान पर बन आई. एक नजर डालते हैं कि डॉक्टरों के पिछले हड़ताल पर जिसने पूरी चिकित्सीय व्यवस्था को निष्क्रिय बना दिया. हाल के दिनों में डॉक्टरों की हड़ताल की संख्या काफी बढ़ गई है. डॉक्टरों की कमी जूझ रहे देश में जब बड़ी संख्या में डॉक्टर हड़ताल पर चले जाएं तो स्थिति काफी खराब हो जाती है.

हड़ताल

मई, 2019: दिल्ली में एनडीएमसी की ओर से चलाए जा रहे हिंदू राव अस्पताल में 500 रेजीडेंट डॉक्टरों ने वेतन आने में हुई देरी से नाराज होकर 3 घंटे के हड़ताल पर चले गए जिससे वहां जाने वाले मरीजों को खासी तकलीफों का सामना करना पड़ा. एमसीडी का यह सबसे बड़ा अस्पताल है और इसमें 1200 बेड की क्षमता है.

dr-strike-hindu-1_061419112530.jpegदिल्ली में पिछले दिनों भी हुई थी हड़ताल (फोटोः मनीष राजपूत)

मार्च, 2019: जयपुर के कांवटिया अस्पताल में एक महिला रेजीडेंट डॉक्टर से एक मरीज के परिजनों की अभद्रता के बाद नाराज डॉक्टर हड़ताल पर चले गए. बाद में शहर के कई अन्य अस्पतालों के डॉक्टर भी हड़ताल पर चले गए. इससे सरकारी अस्पतालों में सैकड़ों मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा.

जनवरी, 2019: सफदरजंग हॉस्पिटल में इलाज कराने आए दिल्ली पुलिस के हेडकांस्टेबल के बेटे द्वारा एक रेजीडेंट डॉक्टर से मारपीट किए जाने वाली घटना से नाराज डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दी जिस कारण अस्पताल की आपातकालीन सेवाएं प्रभावित हो गईं.

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अगस्त, 2018: बिहार की राजधानी पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर डॉक्टर की पिटाई के विरोध में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए. यहां के जूनियर डॉक्टरों के साथ-साथ पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) और दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल समेत कई जगहों के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए. इस कारण राज्य के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच पर भी असर पड़ा. जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने के कारण दर्जनभर से ज्यादा मरीजों की मौत हो गई. वहीं सैकड़ों की संख्या में मरीजों को वहां से कहीं और इलाज के लिए जाना पड़ा.

अप्रैल 2018: दिल्ली के प्रतिष्ठित एम्स में करीब 1800 रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर उस समय चले गए जब आई सेंटर के चीफ डॉक्टर और जूनियर डॉक्टरों के बीच तनातनी बढ़ गई. इस हड़ताल के कारण एम्स के सारे ऑपरेशन रद्द करने पड़े और ओपीडी सेवाओं पर असर पड़ा.

मार्च, 2017: एक अस्पताल में 3 मेडिकलकर्मियों पर वार्ड में हमले से नाराज हजारों की संख्या में डॉक्टर हड़ताल पर चले गए. 17 सरकारी अस्पतालों के 2000 जूनियर डॉक्टरों ने हमले के विरोध में हड़ताल कर दिया. एक महिला मरीज की मौत के बाद नाराज परिजनों ने जूनियर डॉक्टर रोहित कुमार को पीट दिया.

दिसंबर, 2017: राजस्थान में सरकार और डॉक्टरों के बीच आपसी टकराव हड़ताल में बदल गए. हड़ताल के कारण कुछ मरीजों की मौत भी हो गई. और सैकड़ों ऑपरेशन टाल दिए गए. हालांकि इस कारण 50 से ज्यादा डॉक्टरों की गिरफ्तारी भी की गई.

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नवंबर, 2017: अपनी कई मांगों को लेकर राजस्थान के 640 सरकारी डॉक्टरों ने छह नवंबर को हड़ताल शुरू की. बाद में राज्य के कोटा और झालावाड़ मेडिकल कॉलेजों के करीब 350 रेजिडेंट डॉक्टरों विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल में शामिल हो गए. डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के कारण कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ समेत कई जिलों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुईं.

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