scorecardresearch
 

रुश्दी, तसलीमा को कभी बंगाल आने नहीं दिया जाएगा: TMC नेता

लेखक सलमान रुश्दी को पिछले दिनों कोलकाता जाने से पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कथित तौर पर रोकने से उपजे विवाद के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुल्तान अहमद ने कहा है कि भविष्य में भी रूश्दी एवं तसलीमा नसरीन को राज्य में कभी नहीं आने दिया जाएगा.

Advertisement
X
ममता बनर्जी
ममता बनर्जी

लेखक सलमान रुश्दी को पिछले दिनों कोलकाता जाने से पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कथित तौर पर रोकने से उपजे विवाद के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुल्तान अहमद ने कहा है कि भविष्य में भी रूश्दी एवं तसलीमा नसरीन को राज्य में कभी नहीं आने दिया जाएगा.

Advertisement

सुल्तान अहमद ने कहा कि सलमान रुश्दी के बारे में राज्य सरकार का फैसला बंगाल की जनता की भावना के अनुसार था.

बीते 30 जनवरी को विवादास्पद लेखक सलमान रुश्दी को कोलकाता जाने से कथित तौर पर रोक दिया गया था. वहां उन्हें ‘कोलाकाता साहित्य बैठक’ में हिस्सा लेना था. बाद में रूश्दी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया था कि उन्हें कोलकाता जाने से जबरन रोका गया.

इसे बात को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हुआ था. इससे पहले साल 2012 में वह मुस्लिम संगठनों के विरोध के कारण जयपुर साहित्य महोत्सव में भी नहीं शामिल हो सके थे.

इसी बारे में तृणमूल नेता और लोकसभा सदस्य अहमद ने कहा, ‘राज्य सरकार का फैसला (रुश्दी को रोकने का) बिल्कुल जायज़ था. यह बंगाल की जनता की भावना के अनुरूप था.’

Advertisement

सुल्तान अहमद ने कहा, ‘बंगाल की जनता रुश्दी और तसलीमा नसरीन को नहीं पसंद करती. ये दोनों हमारे राज्य में ‘अनवांटेड’ (अवांछित) हैं. बंकिमचंद्र, शरतचंद्र और रवींद्रनाथ की धरती पर इन लोगों को कभी नहीं आने दिया जाएगा.’

इस पूरे विवाद को उस वक्त बल मिला जब रुश्दी ने ट्वीट किया, ‘हमें सूचित किया गया कि कोलकाता पुलिस शहर में प्रवेश नहीं करने देगी. अगर मैं वहां जाता तो मुझसे अगली उड़ान से वापस जाने के लिए कह दिया जाता. मुझे बताया गया कि यह मुख्यमंत्री (ममता) के कहने पर किया गया है.’

रुश्दी के 1988 में आए उपन्यास ‘द सैटनिक वर्सेस’ को लेकर मुस्लिम संगठन उनका विरोध करते हैं. इसी को लेकर 1989 में ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला खुमैनी ने रुश्दी के खिलाफ मौत का फतवा जारी किया था.

बांग्लादेश मूल की लेखिका तसलीमा के उपन्यास ‘लज्जा’ को लेकर विवाद खड़ा हुआ था. इसे लेकर मुस्लिम संगठन उनका विरोध करते हैं. इसी विवाद के चलते उन्हें बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था और कई साल वह कोलकाता में रहीं, लेकिन मुस्लिम संगठनों के विरोध के कारण उन्हें यह शहर भी छोड़ना पड़ा. फिलहाल वह दिल्ली में रह रही हैं.

लोकसभा में तृणमूल के उपनेता अहमद ने कहा, ‘हमारे देश में कई महान लेखक हुए हैं. किसी मजहब को गाली देने वालों को हम बड़ा लेखक कैसे मान सकते हैं. इनका बहिष्कार होना चाहिए.’

Advertisement
Advertisement