आजादी की लड़ाई में कम उम्र में ही अपने प्राण देश के लिए न्यौछावर करने वाले सरदार भगत सिंह की 28 सितंबर को जयंती है. अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई को अलग स्तर पर ले जाने, कम उम्र में फांसी पर चढ़ जाने और युवाओं को प्रेरित करने के लिए हमेशा भगत सिंह को याद किया जाता है. आज भी सोशल मीडिया की गलियों में भगत सिंह की बातें घूमती मिलती हैं, जो युवाओं को प्रेरणा देती हैं.
28 सितंबर 1907 को पाकिस्तान के पंजाब के बांगा गांव में भगत सिंह का जन्म हुआ. परिवार में शुरू से ही अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की बुलंद आवाज़ का माहौल था, तो भगत सिंह भी उसी राह पर चल पड़े. वह कई बरस जेल में रहे, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते रहे, कई ऐसे काम किए जो इतिहास बन गए.
भगत सिंह ने अपने जीवन में जेल में रहते, पढ़ाई के समय में, कई लेख लिखे-चिट्ठियां लिखीं. जो परिवार के किसी सदस्य, आंदोलनकारी के लिए रहीं. 28 सितंबर को जब भगत सिंह की जयंती मनाई जाएगी, तो उससे पहले आप aajtak.in पर भगत सिंह के इन्हीं कुछ खास पत्रों या लेखों को पढ़ सकते हैं.
यहां भगत सिंह का वो लेख पढ़ें जो उन्होंने अपने दादा को लिखा था. भगत सिंह की शुरुआती पढ़ाई तो गांव में हुई लेकिन चौथी क्लास के बाद वह लाहौर आ गए. लाहौर से ही उन्होंने अपने दादा के लिए खत लिखा था.
22 जुलाई, 1918 को सरदार अर्जुन सिंह (भगत सिंह के दादा) के लिए लिखा गया भगत सिंह का खत:
पूज्य बाबाजी,
नमस्ते!
आपका खत पढ़कर अच्छा लगा, अभी इम्तिहान चल रहे हैं इसलिए मैंने आपको कोई खत नहीं लिखा. अब हमारे अंग्रेजी और संस्कृत के नतीजे आ गए हैं. संस्कृत में मेरे 150 नंबर में से 110 नंबर आए हैं, अंग्रेजी में 150 में 68. 150 में से 50 नंबर लाने वाला पास हो जाता है, इसलिए अंग्रेजी में 68 नंबर लाकर मैं भी पास हो गया. आप कोई चिंता मत करना, बाकी इम्तिहानों का नतीजा आना अभी बाकी है. 8 अगस्त को पहली छुट्टी होगी, आप यहां कब आएंगे, बता दीजिएगा.
आपका ताबेदार,
भगत सिंह.
(नोट: भगत सिंह ने ये लेख उर्दू भाषा में लिखा था. इस लेख को राहुल फाउंडेशन की किताब ‘भगत सिंह और उनके साथियों के संपूर्ण उपलब्ध दस्तावेज’ ने हिंदी में छापा है.) भगत सिंह से जुड़े कुछ ऐसे ही दिलचस्प किस्सों को आप अगले कुछ दिनों में aajtak.in पर पढ़ सकते हैं.