भगत सिंह; यारों का यार, सभी का दिलदार, जो देश के लिए कुछ भी कर सकता था. जो अपने दोस्तों के लिए कुछ भी कर सकते थे और अपना पूरा जीवन भगत सिंह ने ऐसे ही जिया.
दिल्ली असेंबली में बम फेंकने के बाद जब बटुकेश्वर दत्त, भगत सिंह और उनके अन्य साथी जेल में अपनी उम्र कैद की सजा काट रहे थे तो दोस्तों के साथ जीवन बिताना इतना आसान भी नहीं था.
पहले दिल्ली जेल में थे, फिर लाहौर शिफ्ट कर दिया गया उसके बाद जब जेलर से किसी बात पर नहीं बनी तो भूख हड़ताल का ऐलान कर दिया. इस दौरान भगत सिंह ने कई खत लिखे कई लेख लेकर जो कई अखबारों में भी छपे.
24 फरवरी 1930 को भगत सिंह ने एक खत लिखा. यह खत उनके दोस्त जयदेव के लिए था, भगत सिंह ने खत में कुछ मंगाया था कुछ ऐसी चीज जिसकी उन दिनों जेल में बेहद जरूरत थी इस खत में क्या था आप यहां पढ़ें...
विषय: ''बेहद जरूरी''
नंबर 103/फांसी कोठरी
केंद्रीय जेल, लाहौर
मेरे प्रिय जयदेव,
मुझे उम्मीद है कि तुमने 16 दिन के बाद हमारी भूख हड़ताल छोड़ने की बात सुन ली होगी और तुम अंदाजा लगा सकते हो कि इस समय तुम्हारी मदद की कितनी जरूरत है. हमें कल कुछ संतरे मिले लेकिन कोई मुलाकात नहीं हुई.
हमारा मुकदमा 2 सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है. इसलिए एक टीन घी और एक क्रेवन-ए सिगरेट का टिन भिजवाने की तुरंत कृपा करो.
कुछ रसगुल्ला के साथ कुछ संतरों का भी स्वागत है. सिगरेट के बिना दल की हालत खराब है, अब हमारी जरूरतों की अनिवार्यता समझ सकते हो.
अग्रिम आभार सहित
सच्ची भावना सहित तुम्हारा
भगत सिंह
कब और कहां हुआ था भगत सिंह का जन्म?
28 सितंबर 1907 को पाकिस्तान के पंजाब के बांगा गांव में भगत सिंह का जन्म हुआ. परिवार में शुरू से ही अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की बुलंद आवाज़ का माहौल था, तो भगत सिंह भी उसी राह पर चल पड़े. वह कई बरस जेल में रहे, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते रहे, कई ऐसे काम किए जो इतिहास बन गए.
इसे पढ़ें: 11 साल के भगत सिंह की चिट्ठी: ‘दादाजी, संस्कृत में 150 में 110 नंबर मिले’
(नोट: भगत सिंह का ये खत राहुल फाउंडेशन की किताब ‘भगत सिंह और उनके साथियों के संपूर्ण उपलब्ध दस्तावेज’ ने हिंदी में छापा है.)