भगत सिंह हिन्दुस्तानियों के लिए ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के बहुत से लोगों के लिए भी आदर्श हैं. देश को आजादी मिलते ही मुल्क का बंटवारा बेशक हो गया, लेकिन शहीद ए आजम के प्रति आज भी बहुत से पाकिस्तानियों के मन में अगाध श्रद्धा है.
भगत सिंह को जिस तरह भारत में महान क्रांतिकारी देशभक्त माना जाता है उसी तरह पाकिस्तान के बहुत से लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता उन्हें पाकिस्तान का सबसे बड़ा क्रांतिकारी मानते हैं. इनमें से एक हैं सईदा दीप.
दीप लाहौर के इंस्टिट्यूट फॉर सेक्यूलर स्टडीज की प्रमुख हैं. उनका कहना है कि वह भगत सिंह से बचपन से ही प्रभावित रही हैं. वह भगत सिंह से जुड़े स्थलों को पुन: पुराना गौरव दिलाने के लिए भी संघर्ष कर रही हैं.
वह ब्रैडला हाल का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने के लिए अभियान चला रही हैं. यह हाल पंजाब कांग्रेस का मुख्यालय हुआ करता था और इसमें स्थापित नेशनल कालेज में शहीद ए आजम ने शिक्षा पाई थी.
उनका कहना है कि इस हाल को 1947 जैसा गौरव मिलना चाहिए जिससे यह एक शैक्षणिक संस्थान के रूप में तब्दील हो सके.
यह इमारत अब जर्जर हो चुकी है जिससे सईदा दीप बेहद व्यथित . उनका मानना है कि भगत सिंह हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की साझी विरासत हैं.{mospagebreak}
ब्रैडला हाल को पुराना रूप देने के साथ ही वह इसमें एक संग्रहालय स्थापना की मांग भी कर रही हैं जो भगत सिंह को समर्पित हो. उनका कहना है कि शादमान चौराहे का नाम भगत सिंह चौक रखा जाना चाहिए जहां :लाहौर सेंट्रल जेल: उन्हें फांसी दी गई थी.
पाकिस्तान सरकार ने लाहौर सेंट्रल जेल को तुड़वा दिया था और अब वहां शादमान नाम से एक कालोनी स्थापित है. शादमान चौक वाली जगह पर ही भगत सिंह और राजगुरु ने हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूमा था.
दीप का कहना है कि भगत सिंह जैसे जांबाज कभी-कभार ही पैदा होते हैं.
पाकिस्तान के जाने माने अधिवक्ता आबिद हसन मिंटो भी भगत सिंह के प्रशंसक हैं. उनका कहना है कि पाकिस्तान में शहीद ए आजम से जुड़े सभी स्थलों को पुराना रूप मिलना चाहिए जो इस महान क्रांतिकारी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.{mospagebreak}
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर चमन लाल का कहना है कि पाकिस्तान में भगत सिंह के लिए चल रहे अभियान से अब बहुत से लोग जुड़ चुके हैं. पाकिस्तान के बहुत से कवियों और लेखकों ने शहीद ए आजम को अपनी रचनाओं में महत्वपूर्ण स्थान दिया है.
भगत सिंह के जीवन पर शोध करने वाले चमन लाल ने अपनी नयी किताब ‘क्रांतिवीर भगत सिंह अभ्योदय और भविष्य’ में शहीद ए आजम की फांसी के बाद देश में पैदा हुई स्थिति का जिक्र किया है.