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वाजपेयी-सुभाषचंद्र बोस-कांशीराम को भारत रत्न देने की तैयारी, कांग्रेस ने साधा निशाना

एक बार फिर देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न को लेकर सियासत तेज हो गई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को देश का सर्वोच्च सम्मान मिल सकता है.

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देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न को लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को देश का सर्वोच्च सम्मान मिल सकता है. इनके अलावा बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय और महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के नाम पर भी चर्चा हो रही है. दरअसल, गृह मंत्रालय द्वारा पांच भारत रत्न पदकों का ऑर्डर दिए जाने से अटकलें बढी हैं.

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मीडिया में आईं इन खबरों पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस का कहना है कि अगर मोदी सरकार इतिहास में पीछे जाकर लोगों को भारत रत्न देना चाहती है तो इस लिस्ट में कई और नाम भी हैं.

आपको बता दें कि बीजेपी नेता पहले भी अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की मांग उठा चुके हैं.

बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी जल्द ही इस बारे में फैसला कर सकते हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि वह अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में इसकी घोषणा कर सकते हैं.

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चार दिन पहले सरकारी टकसाल को भारत रत्न के लिए पांच पदक तैयार करने को कहा गया है. हालांकि उन्होंने कहा कि पांच पदक का ऑर्डर दिए जाने का मतलब यह नहीं है कि पांच व्यक्तियों को भारत रत्न दिया जाएगा. यह पर्याप्त संख्या में पदक सुरक्षित रखने के लिए है.

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कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि अगर सरकार इतिहास में पीछे जाकर लोगों को भारत रत्न देना चाहती है तो उसे भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और लाला लाजपत राय के नाम पर भी विचार करना चाहिए.

 

सीपीआई नेता डी राजा ने कहा, 'अगर सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देकर क्रिकेट को सम्मानित किया जा सकता है तो अन्य टीमों को क्यों नहीं? भारत रत्न पर सरकार के आखिरी मुहर के बाद ही टिप्पणी करना बेहतर होगा.'

इसके अलावा, भारत रत्न के लिए सरकार के नियम स्पष्ट है कि वार्षिक पुरस्कारों की संख्या किसी खास वर्ष में अधिकतम तीन तक सीमित है. भारत रत्न के लिए अनुशंसा प्रधानमंत्री द्वारा खुद राष्ट्रपति से की जाती है. इसके लिए कोई औपचारिक अनुशंसा की जरूरत नहीं होती.

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