संसद के इतिहास में ये मौका कम ही आया है जब किसी राज्य के मुख्यमंत्री के निधन पर् श्रद्धांजलि के बाद कार्रवाई को स्थगित कर दिया गया हो. लेकिन केंद्र सरकार की सिफारिश के बाद अम्मा यानि एआइएडीएमके प्रमुख जयललिता के लिए परंपरा से हटकर शोक जताया गया.
कुछ सांसदों दबी जुबान से एक दूसरे से पूछ बैठे कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पी.डी.पी. चीफ मुफ़्ती मोहम्मद सईद के निधन पर् ऐसा क्यों नहीं हुआ, इन सवालो का जवाब सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने दिया ये कहकर कि अम्मा का कद बहुत ऊँचा था ये सम्मान उसी कद को है.
पीडीपी जो कि सरकार की सहयोगी है और AIADMK सिर्फ एक ऐसी पार्टी जिसके साथ नरेंद्र मोदी के साथ रिश्ते अच्छे हैं. लेकिन फर्क भविष्य की राजनीति के गर्त में छिपा है जहां बीजेपी खुद को देखना चाहती है और उस भूमिका तक पहुचने में पार्टी को उम्मीद है तो सिर्फ AIADMK से.
शशिकला हैं अगला बड़ा चेहरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जयललिता के पार्थिव शरीर के पास उनकी खास सहयोगी शशिकला के सर पर हाथ रखकर
ढांढस बढ़ाना कई संकेत देता है. ये बात साफ़ है कि आने वाले दिनों में शशिकला AIADMK में सबसे अहम
किरदार निभाने वाली हैं. ये बात किसी से छिपी नहीं की अस्पताल में जब जयललिता जिंदगी और मौत से जूझ रही
थी और चर्चा इस बात पर जारी थी की आखिर उनकी विरासत को आगे किसके हाथो में सौंपा जाए तो पार्टी और
काडर की जुबां पर एक ही नाम था शशिकला.
खुद पर चल रहे अदालती मुकदमों को देखते हुए केंद्र सरकार से फिलहाल अच्छे संबंध रखने शशिकला की भी जरूरत है और राज्य से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में AIADMK का साथ बीजेपी की अपनी जरूरत है.
हर मोड़ पर साथ रहा केंद्र
अम्मा के साथ उमड़े जनसमर्थन को भांपते हुए केंद्र सरकार ने अस्पताल से लेकर अंतिम संस्कार तक पूरा किरदार
निभाया. केंद्र का नुमाइंदा बनाकर केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू को चेन्नई भेजा गया तो वहीं वरिष्ठ कई केंद्रीय मंत्री
राज्य में उपजने वाले संवैधानिक संकट के बारे में जयललिता के सहयोगियों को सलाह देते रहे. राष्ट्रीय शोक का
ऐलान हुआ और तमाम मंत्री अम्मा और मोदी के सौहार्दपूर्ण रिश्तो का बखान करने लगे.
राष्ट्रपति चुनाव में सहयोग की उम्मीद
अब बीजेपी को ना सिर्फ अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए AIADMK के समर्थन की जरूरत है बल्कि
कांग्रेस और ममता बनर्जी समर्थित विपक्ष के खिलाफ भी. इसलिए आने वाले समय में पार्टी के रणनीतिकार इस
कोशिश में रहेंगे की किसी भी तरह अम्मा के जाने से AIADMK टूट के कगार पर पहुंचकर विपक्ष को फायदा ना
पहुचायें. बीजेपी को फायदा इस बात का है कि विचारों के मामले पर् दो ध्रुवो में बटीं तमिलनाडु की राजनीति में
दक्षिणपंथी विचारो पर वो शुरुआत से ही AIADMK के साथ खड़ी है. हालांकि उसके पास ना तो राज्य में अम्मा या
एमजीआर जैसा कोई चमकता सितारा है और ना ही डीएमके जैसा कास्ट कॉम्बिनेशन, इस खालीपन को भरना ही
पार्टी के लिए चुनौती है.
मोदी से थे मधुर रिश्ते
ये वही बीजेपी है जिसके नेता कभी शंकराचार्य की गिरफ्तारी से आहत होकर जयललिता के खिलाफ धरने पर बैठे थे
और ये अम्मा की वही पार्टी है जिसने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरने पर सोनिया गांधी से नजदीकी साधी
थी. लेकिन गेम बदला नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर जिनके रिश्ते अम्मा के साथ राजनीतिक तौर पर हमेशा
मधुर रहे है. सत्ता में आते ही मोदी ने सहयोगी ना होने के बावजूद AIADMK के नेता को लोकसभा में उपसभापति
बनवाया तो जया ने विरोध के बावजूद जीएसटी बिल पर सरकार को असमंजस में ना डालते हुए वॉकआउट कर बिल
पास करवा दिया.
फिलहाल राज्य के नए मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम का लक्ष्य पार्टी पर अपनी पकड़ बनाना है और शशिकला को अम्मा की गैरमौजूदगी में खुद को साबित करना है. इन दोनों के बीच की प्रतिस्पर्धा ही बीजेपी को आने वाले दिनों पर राजनितिक फायदा पहुंचायेगी. ज़ाहिर है उसकी कोशिश किसी ना किसी तरह दोनों के साथ मधुरता बनाने की होगी तभी अम्मा के लिए पनपी सहानुभूती की नमी पर वो अपनी सियासी फसल खड़ी कर पायेगी.