साल के पहले दिन पुणे के भीमा-कोरेगांव में एक कार्यक्रम के दौरान अचानक भड़की हिंसा ने पूरे देश का ध्यान खींचा. लेकिन हिंसा के बाद अब पुलिस की जांच से गांववाले खासे त्रस्त हैं और शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करके उन्होंने प्रशासन से उन्हें परेशान नहीं करने की गुहार लगाई और हिंसा के लिए बाहरी लोगों को जिम्मेदार बताया.
राजनीतिक फायदा उठाने के लिए मुझे फंसाया जा रहा है- संभाजी भिड़े
गांव में भड़की हिंसा के बाद जातिगत हिंसा पूरे महाराष्ट्र में फैल गई. जिसके बाद इस हिंसा पर राजनीतिक दलों ने राजनीतिकरण करना शुरू कर दिया. हालांकि इसके बाद भीमा-कोरेगांव में रहने वाले ग्रामीणों की जिंदगी काफी मुश्किल हो गई है. पुलिस जांच के लिए लगातार उनसे पूछताछ कर रही है. इस जांच-पड़ताल से लोग खासे परेशान है और उन्होंने इस मामले पर अपनी ओर से बात रखने के लिए प्रेस कांफ्रेंस किया.
भीमा कोरेगांव जातीय हिंसा में प्रभावित दलित परिवारों से मिलने मांझी जाएंगे महाराष्ट्र
भीमा-कोरेगांव की महिला सरपंच संगीता गोविंद कांबले ने कहा कि हिंसा के लिए बाहरी लोग जिम्मेदार हैं और सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करे. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, "गांव में भड़की हिंसा के लिए बाहर से आए लोग जिम्मेदार हैं. हम भीमा-कोरेगांव के लोग शांति और सद्भाव के साथ रहते हैं और आगे भी ऐसे ही रहेंगे." सरपंच संगीता दलित समाज से आती हैं.
गांव के एक अन्य ग्रामीण नारायण पाधत्रे ने भी गांव में अशांति लाने के लिए बाहरी लोगों पर आरोप लगाया. पुलिस अनावश्यक तौर पर यहां के लोगों को परेशान कर रही है. उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "1 जनवरी को हुई हिंसा के लिए बाहर से आए लोग जिम्मेदार हैं. सरकार को तुरंत ऐसे लोगों पर केस दर्ज कराना चाहिए. पुलिस बेवजह ग्रामीणों को परेशान कर रही है."
दूसरी ओर, भीमा कोरेगांव में हुए जातीय संघर्ष के लिए आरोपी ठहराए गए संभाजी भिड़े ने आजतक से बात की. उन्होंने हिंसा फैलाने की घटना को राजनीतिक साजिश करार दिया है. उन्होंने कहा, "मुझे फंसाया जा रहा है. मैंने हिंसा फैलाई यह बेकार की बाते हैं. मैं समाज को तोड़ने का काम नहीं करता हूं."