भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी लेखक गौतम नवलखा को गिरफ्तारी से राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा को गिरफ्तारी से चार और हफ्ते की अंतरिम सुरक्षा प्रदान की है. हालांकि इस दौरान उन्हें अग्रिम जमानत याचिका दायर करनी होगी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से गौतम नवलखा के खिलाफ सबूत देने को कहा था और उन्हें 15 अक्तूबर तक गिरफ्तारी से राहत दी थी.
Bhima-Koregaon case: Supreme Court extends interim protection from arrest to activist Gautam Navlakha by four more weeks, he was earlier granted protection from arrest till October 15. He has to apply for pre-arrest bail in the meantime. pic.twitter.com/vqc657YKwU
— ANI (@ANI) October 15, 2019
सामाजिक कार्यकर्ता नवलखा पर पुणे के भीमा कोरेगांव में जातीय हिंसा भड़काने में सलिप्त होने का आरोप है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की एक और पीठ ने बीते 3 अक्टूबर को नवलखा की याचिका पर सुनवाई करने से खुद को अलग कर लिया था. उन्होंने अदालत में पुणे पुलिस के जरिए अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए याचिका दाखिल की हुई है.
जस्टिस अरुण मिश्रा, विनीत शरण और एस रवींद्र भट्ट की तीन जजों की बेंच के सामने सुनवाई के लिए मामला आया था. जस्टिस भट्ट ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसके बाद अदालत ने यह मामला दूसरी पीठ के पास भेज दिया था. हालांकि यह तीसरी बार था, जब किसी जज ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. एक अक्टूबर को जज एनवी रमन, बीआर गवई और आर सुभाष रेड्डी की तीन सदस्यीय पीठ ने नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.
क्या है मामला?
पुणे पुलिस ने नवलखा और नौ अन्य मानव अधिकार व नागरिक स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं को भारत के अलग अलग हिस्सों से गिरफ्तार किया था. उनकी गिरफ्तारी 31 दिसंबर, 2017 को भीमा-कोरेगांव में एल्गर परिषद की बैठक आयोजित करने के आरोप में की गई. एल्गर परिषद के अगले ही दिन एक जनवरी 2018 को भीमा-कोरेगांव में जातीय दंगे व हिंसा शुरू हो गई थी.