भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कुछ दिनों पहले की गई वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. पुलिस ने सभी पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को सही ठहराया है.
हलफनामे में महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि सभी 5 कार्यकर्ता समाज में अराजकता पैदा करने की योजना बना रहे थे. वे हिंसा को उजागर करने के लिए भयानक डिजाइन का हिस्सा हैं.
महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी असंतोष या राय के अंतर के आधार पर नहीं की गई है. महाराष्ट्र पुलिस की ओर से कहा गया कि सभी 5 कार्यकर्ताओं को विश्वसनीय साक्ष्य के आधार पर गिरफ्तार किया गया था.
महाराष्ट्र पुलिस अभी भी सभी कार्यकर्ताओं की हिरासत की मांग कर रही है. सर्वोच्च अदालत में गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई होगी.
सरकार ने कहा है कि हाउस अरेस्ट से आरोपी भले ही कहीं जा नहीं पा रहे हैं, लेकिन अब भी वह सबूत को मिटा सकते हैं. वहीं दूसरे आरोपियों को भी अलर्ट होने का मौका मिल सकता है. अगर हमें उनकी हिरासत मिलती है, तो हम अन्य आरोपियों के बारे में भी पता लगा सकते हैं.
कोर्ट ने दिया था नज़रबंद करने का आदेश
देश के कई हिस्सों में छापेमारी कर पुलिस ने 5 वामपंथी विचारकों- सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, गौतम नवलखा, अरुण फेरेरा और वेरनॉन गोंजाल्विस को गिरफ्तार किया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सभी की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए 6 सितंबर तक हाउस अरेस्ट रखा गया है.