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महानगर बनता शांत शहर है भोपाल

नवाबों, झीलों और ऐतिहासिक स्मारकों का शहर भोपाल विकास की राह पर तेजी से चल पड़ा है. निर्माण क्षेत्र की कई नामी-गिरामी कंपनियों के यहां आ जाने के बाद व्यापार-व्यवसाय में बढ़ोतरी देखी जा रही है.

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शहर भोपाल
शहर भोपाल

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नवाबों, झीलों और ऐतिहासिक स्मारकों का शहर भोपाल विकास की राह पर तेजी से चल पड़ा है. निर्माण क्षेत्र की कई नामी-गिरामी कंपनियों के यहां आ जाने के बाद व्यापार-व्यवसाय में बढ़ोतरी देखी जा रही है. शहर में रियल एस्टेट का कारोबार लगातार फैलता जा रहा है. 'एक घर हो अपने सपनों का'' आम आदमी के इस ख्याल को साकार करने, बेचने में जुटी कंपनियां चीजों को गहराई से समझकर शहर में दस्तक दे रही है.

मकान की चाहत में शहर का ऐसा विस्तार हुआ है कि अब भोपाल से लगे ओबेदुल्लागंज, रायसेन, सीहोर, बैरसिया तक आते-जाते शहर और गांव के बीच की दूरी लगभग खत्म होती दिखाई देती है. इस शहर में आ रहे बड़े-बड़े मॉल शहर की रौनक बढ़ाने वाले हैं, जिससे रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी हो रही है. राजधानी के एक नवनिर्मित शॉपिंग मॉल में आम जनता की बढ़ती रुचि को उद्योगपतियों ने बख़ूबी समझ लिया है. अभी शहर में 3 मॉल खुलने की तैयारी में हैं. 2 मॉल अगले 8 माह में खुल जाएंगे.

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मकान की कीमतों में यहां भी पिछले एक साल में हर जगह इजाफा हुआ है. इसके बावजूद, दूसरे शहरों की तुलना में यहां मकान अब भी आम आदमी की पहुंच में है. 20 से 35 लाख रु. के बीच मकान उपलब्ध हैं. देश के दूसरे बड़े शहरों के मुकाबले यह दर आधी है.

दूसरी तरफ भोपाल को पुणे की तरह एजुकेशनल हब बनाने की योजना पर भी काम शुरू हो गया है. भोपाल में स्कूल ऑफ आर्किटेक्ट, नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नाट्य विद्यालय समेत कई सरकारी संस्थान आ जाने से यहां विभिन्न विषयों के योग्य युवाजनों की टीम तैयार हो रही है. इसके साथ ही 74 इंजीनियरिंग, 4 मेडिकल, 3 डेंटल, 30 मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट्स के कारण शिक्षा के क्षेत्र में भोपाल की पहचान एजुकेशनल हब के रूप में बन रही है. इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को भी भोपाल में जमीन दी गई है. यह संस्थान जल्द ही काम करना शुरू कर देगा. यहां बन रहा एम्स भी नए साल में काम करना शुरू कर देगा, जिससे लोगों को सस्ता और अच्छा इलाज भी मुहैया होगा.

भोपाल के मंडीदीप क्षेत्र में प्रॉक्टर ऐंड गैंबल, ल्यूपिन और एचईजी जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने कारोबार को बढ़ा रही हैं, जिनसे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है. हाल ही में प्रॉक्टर ऐंड गैंबल ने 800 करोड़ रु. की लागत से मंडीदीप में नई इकाई शुरू करने का फैसला किया है. दूसरी ओर एचईजी के प्‍लांट ने अपनी उत्पादन क्षमता एक लाख टन तक पहुंचा दी है. ग्रेफाइट का इतना उत्पादन देश के और किसी भी प्‍लांट में नहीं होता.

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मंडीदीप क्षेत्र से ही हर साल 5,000 करोड़ रु. तक के सामानों का निर्यात किया जा रहा है और 11,000 करोड़ रु. कीमत के सामान का उत्पादन हो रहा है. यहां आसपास का इलाका भी उद्योग व्यापार की गतिविधि का विस्तार करने के अनुकूल है. भोपाल और आसपास के इलाकों में बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों और यातायात के दबाव को ध्यान में रखते हुए मेट्रोमैन ई. श्रीधरन ने यहां मेट्रो रेल चलाने का प्रस्ताव दिया था. राज्‍य सरकार भी उसे मंजूरी दे चुकी है. नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर इसमें विशेष रुचि ले रहे हैं. भोपाल में जेएनएनयूआरएम योजना के तहत चलाई जा रही बस सुविधा ने जनता को काफी सहूलियतें दी हैं. शहर की आधुनिक लो-फ्लोर बसों के पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल को पूरे देश में शहरी परिवहन के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल चुना गया है.

अर्थशास्त्री राजेंद्र कोठारी कहते हैं, ''रहने और निवेश करने के लिए भोपाल एक आदर्श शहर है. यहां मेट्रो शहर जैसे फायदे हैं और शांत जिंदगी है. अब शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर में भी बढ़ोतरी हुई है.''

यह एक मात्र शहर है जहां आप बड़े तालाब के किनारे बसे वन विहार में शेरों की दहाड़ सुन सकते हैं, वहीं तालाब के दूसरी तरफ ऐतिहासिक इमारतों को भी देख सकते हैं. इसकी ख़ूबसूरती बॉलीवुड को भी शहर की ओर आकर्षित कर रही है. पिछले साल बिग बी और सैफ अली खान समेत कई नामचीन कलाकार फिल्मों की शूटिंग के लिए यहां आ चुके हैं. निर्देशक प्रकाश झा ने अपनी पिछली दो फिल्मों की शूटिंग यहीं की है और शहर में उपलब्ध लोकेशन और जूनियर कलाकारों की भी तारीफ दिल खोलकर की है. पटकथा लेखक रूमी जाफरी भी अपनी फिल्म गली गली चोर है  की शूटिंग भोपाल में पिछले साल कर चुके हैं.

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इस शहर की आबोहवा कुछ ऐसी है कि जो यहां आ जाता है वह यहीं का होकर रह जाता है. वह चाहे अधिकारी हो, व्यवसायी हो, नेता या कोई और. कानपुर से ताल्लुक रखने वाले उद्योगपति सौरभ गर्ग जब भोपाल आए तो उसके बाद यहीं के होकर रह गए. वे कहते हैं, ''भोपाल में विकास देर से शुरू हुआ, मगर पिछले कुछ सालों में जो तरक्की हुई है वह काबिले तारीफ है. अब शहर हर तरह से बढ़ रहा है, चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो, स्वास्थ्य सेवाओं की बात हो या फिर आम लोगों के लिए मूलभूत सुविधाओं की बात. शहर की सड़कें अब महानगरों की सड़कों को टक्कर दे रही हैं. मेट्रो भी आने वाले वक्त में लोगों की जिंदगी को आसान बनाएगी.'' शहर महानगर का रूप लेते हुए भी शांत और पर्यावरण के अनुकूल है. इस शहर का मिजाज मन को भा जाता है.

मगर ऐसा भी नहीं कि सब कुछ अच्छा ही हो. भ्रष्टाचार और प्रशासनिक देरी शहर के विकास की रफ्तार में अड़ंगे लगा रही है. कई उद्योगपतियों ने शहर में निवेश की इच्छा जताई, मगर प्रशासनिक देरी और भ्रष्टाचार की वजह से अंत में उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिए.

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